संस्कृत भाषा

#दोहे
-------
जिस दिन युवा देश के , समझेगे निज पाथ**।
संस्कृत अरु साहित्य को , लेंगे  हाथों-हाथ।।०१।।
-----
आज हमारी संस्कृति , रोती है निज देश।
संस्कृत भाषा जा रही , देश छोड़ पर-देश।।०२।।
-------
पुरातनी  भाषी   यहाँ   ,   माँगे   निज   अधिकार।
बिलख-बिलख कर कह रही , करिए पुनः विचार।।०३।।
------
जाना हो यदि आपको , अब आगे परदेश।
संस्कृत का कर अध्ययन ,  पूर्ण करें आदेश।।०४।।
----
संस्कृत   के  साहित्य   की  ,  महिमा  बड़ी  अपार।
वाल्मीकि , व्यास , पाणिनी ,  माघ , कालि , आधार।।०५।।
-------
आचार्य प्रताप

#गूढार्थ
------------

Path पाथ- राह
Achary Pratap

समालोचक , संपादक तथा पत्रकार प्रबंध निदेशक अक्षरवाणी साप्ताहिक संस्कृत समाचार पत्र

1 Commentaires

आपकी टिप्पणी से आपकी पसंद के अनुसार सामग्री प्रस्तुत करने में हमें सहयता मिलेगी। टिप्पणी में रचना के कथ्य, भाषा ,टंकण पर भी विचार व्यक्त कर सकते हैं

Plus récente Plus ancienne