विजात छंद

गीतिका -विजात छंद

विजात छंद सुहानी शाम है आई। गगन पर लालिमा छाई।। सुधाकर है दिखा अब तो , सुहानी रात है आई।। कली मिटने लगी …

Afficher plus de posts
Aucun résultat.