बच्चे आत्महत्या जैसी सोच से दूर कैसे रहें?

रीक्षा समाप्ति के बाद परिणाम आने से पहले, एक शिक्षक का, विद्यार्थी के माता-पिता को पत्र।
एक शिक्षक की कलम से --

प्यारे अभिभावकों,

         परीक्षाओं का दौर लगभग समाप्ति की ओर है और परीक्षा परिणाम की घोषणा होने वाली है। अब आप अपने बच्चों के रिजल्ट को लेकर चिंतित हो रहे होंगे । लेकिन कृपया याद रखें, वे सभी छात्र जो परीक्षा में शामिल हो रहे हैं, इनके ही बीच में कई कलाकार भी हैं, जिन्हें गणित में पारंगत होना जरूरी नहीं है। इनमें अनेकों उद्यमी भी हैं, जिन्हें इतिहास या अंग्रेजी साहित्य में कुछ कठिनाई महसूस होती होगी, लेकिन ये ही आगे चलकर इतिहास बदल देंगे I इनमें संगीतकार भी हैं जिनके लिये रसायनशास्त्र के अंक कोई मायने नहीं रखते । इनमें खिलाड़ी भी हैं, जिनकी फिजिकल फिटनेस फिजिक्स के अंकों से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं । यदि आपका बच्चा मैरिट अंक प्राप्त करता है तो ये बहुत अच्छी बात है। लेकिन यदि वह ऐसा नहीं कर पाता तो उससे कृपया उसका आत्मविश्वास न छीनें |
उसें बतायें कि सब कुछ ठीक है और ये सिर्फ परीक्षा ही है । वह जीवन में इससे कहीं ज्यादा बड़ी चीजों को करने के लिये बना है | इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि उसने कितना स्कोर किया है। उसे प्यार दें और उसके बारे में अपना फैसला न सुनायें । यदि आप उसे खुशमिज़ाज़ बनाते हैं तो वो कुछ भी बने उसका जीवन सफल है, यदि वह खुशमिज़ाज़ नहीं है तो वो कुछ भी बन जाए, सफल कतई नहीं है । कृपया ऐसा करके देखें, आप देखेंगे कि आपका बच्चा दुनिया जीतने में सक्षम है। एक परीक्षा या एक 90% की मार्कशीट आपके बच्चे के सपनों का पैमाना नहीं है । 
 ✍ एक अध्यापक
      आचार्य प्रताप
बच्चे आत्महत्या जैसी सोच से भी बहुत दूर रहें ।
Achary Pratap

समालोचक , संपादक तथा पत्रकार प्रबंध निदेशक अक्षरवाणी साप्ताहिक संस्कृत समाचार पत्र

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