#आ शीषों की इस बेला में ,
अनुज नमन करता भ्राता।
#शी ष झुकाए वंदन करता,
जन्म दिवस जब भी आता।
#ष ट ऋतुओं सम समता तुममें ,
लाडो से तुमने पाला।
#सिं गापुर से इमिरात तक ,
भ्रमण राष्ट्र सब कर डाला।
#ह में गर्व है तुम पर भैय्या ,
मिलने का हूँ अभिलाषी।
#ज यशूरों वंशज हम सब ,
होते कितने मृदु भाषी।
#य त्र-तत्र विचरण करने में ,
नहीं कभी हम इतराएँ।
#शू न्य बढेगा उच्च शिखर तक,
हम सब मिलकर ले जाएँ।।
Tags:
शब्द-गुच्छ