आशीष सिंह जयशूर 03 JAN

जीवेम शरदः शतम् मम प्रिय आशीष सिंह जयशूर
Aashish Singh Jayshoor #ASJ
#आ शीषों की इस बेला में ,
अनुज नमन करता भ्राता।
#शी ष झुकाए वंदन करता,
जन्म दिवस जब भी आता।
#ष ट ऋतुओं सम समता तुममें ,
लाडो से तुमने पाला।
#सिं गापुर से इमिरात तक ,
भ्रमण राष्ट्र सब कर डाला।
#ह में गर्व है तुम पर भैय्या ,
मिलने का हूँ अभिलाषी।
#ज यशूरों वंशज हम सब ,
होते कितने मृदु भाषी।
#य त्र-तत्र विचरण करने में ,
नहीं कभी हम इतराएँ।
#शू न्य बढेगा उच्च शिखर तक,
हम सब मिलकर ले जाएँ।।
#र विकर के सम प्रभा बिखेरो,
जयशूरों का नाम करो।
शुभ-आशीषों से झोली अब ,
कवि #प्रताप की आप भरो।
जग की सारी खुशियाँ हे प्रभु!
भ्राताश्री को दे देना।
शब्द गुच्छ की भेंट हमारी ,
स्वीकृत अब तो कर लेना।
Achary Pratap

समालोचक , संपादक तथा पत्रकार प्रबंध निदेशक अक्षरवाणी साप्ताहिक संस्कृत समाचार पत्र

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