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अपने सृजनों में रखें, नैतिकता अनिवार्य।
सच्चे मन से सृजन में , होता अच्छा कार्य।।०१।।
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मिली सफलता जो कभी, बढ़ता जाता ताप।
कार्य प्रगति पर चल रहा,करता रहा प्रताप।।०२।।
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बाहुबली नेता बने, जन मानस है आम।
अब जनता दरबार तो, लगता सारेआम।।०३
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ग्रहण भानु का दोष है , मानव का अभिमान।
खंडित होने पर सदा , पाते वे सम्मान।।०४।।
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मानव का अभिमान जब , टूटे बने महान।
कह प्रताप अविराम तब , पाता वह सम्मान।।०५।।
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आचार्य प्रताप
विशेष - फेसबुक की याददाश्त से प्राप्त गत साहित्यिक वर्षों के कुछ दोहे जिन्हें आज प्रकाशित कर कर रहा हूँ |
सुन्दर दोहे।
जवाब देंहटाएंमकर संक्रान्ति का हार्दिक शुभकामनाएँ।