शान हमारी हिन्दी है।

हिन्दी भाषा 

अंतस  मन  से  नमन  करें  सब   जान  हमारी  हिन्दी  है।
आन    बान   अरु   मान   हमारी    शान  हमारी  हिन्दी  है।
शपथ  ग्रहण  अब  हम  करते  हैं ,
हिन्दी     को  अपनाएँगे ।
हिन्द  से  लेकर  विश्व  पटल  तक,
हिन्दी   अलख   जगाएँगे।
मान  ज्ञान  विज्ञान  की  भाषा,
गौरवगाथा         गाएँगे।
पाठक     साधक   और     विचारक,
भारत     भाल        चढाएँगे।।
रहे     सदा   अभिमान   हमें   पहचान    हमारी   हिन्दी   है ।।
अंतस  मन  से  नमन  करें  सब   जान  हमारी  हिन्दी  है ।।०१।।
तुलसी   मीरा   वृंद   कबीरा ,
सूर  बिहारी – वाणी है।
हिन्दी    मेरे   हिंद    देश     की ,
भाषा   इक    कल्याणी    है।
सत्य   निष्ठ  उत्कृष्ट  यही  है ,
सुनें  यही  कविवाणी  है 
अर्पण  - तर्पण   और  समर्पण ,
कहते  सब  सुरवाणी  है ।
दिनकर  पंत  निराला  कह  रसखान  हमारी  हिन्दी  है।
रहे     सदा   अभिमान   हमें   पहचान    हमारी   हिन्दी   है ।।०२।।

जिसके  मस्तक  पर  छोटी - सी ,
लगती  प्यारी  बिन्दी  है ।
सारी  दुनिया  कहती  हैं  अब ,
 लगती  न्यारी  हिन्दी  है ।
जनमानस     का     अभिनंदन  है ,
अभिव्यंजन  की  आशा  है ।
बंधन  मंथन  अनुकंपन  की ,
साहित्यिक  यह  भाषा  है।
ज्ञान  गीत – संगीत छंद  विज्ञान  हमारी  हिन्दी  है।।
रहे     सदा   अभिमान   हमें   पहचान    हमारी   हिन्दी   है ।।०३।।
-----
-आचार्य प्रताप
Achary Pratap

समालोचक , संपादक तथा पत्रकार प्रबंध निदेशक अक्षरवाणी साप्ताहिक संस्कृत समाचार पत्र

Enregistrer un commentaire

आपकी टिप्पणी से आपकी पसंद के अनुसार सामग्री प्रस्तुत करने में हमें सहयता मिलेगी। टिप्पणी में रचना के कथ्य, भाषा ,टंकण पर भी विचार व्यक्त कर सकते हैं

Plus récente Plus ancienne