शनिवार, 3 अप्रैल 2021

संस्कृत भाषा

#दोहे
-------
जिस दिन युवा देश के , समझेगे निज पाथ**।
संस्कृत अरु साहित्य को , लेंगे  हाथों-हाथ।।०१।।
-----
आज हमारी संस्कृति , रोती है निज देश।
संस्कृत भाषा जा रही , देश छोड़ पर-देश।।०२।।
-------
पुरातनी  भाषी   यहाँ   ,   माँगे   निज   अधिकार।
बिलख-बिलख कर कह रही , करिए पुनः विचार।।०३।।
------
जाना हो यदि आपको , अब आगे परदेश।
संस्कृत का कर अध्ययन ,  पूर्ण करें आदेश।।०४।।
----
संस्कृत   के  साहित्य   की  ,  महिमा  बड़ी  अपार।
वाल्मीकि , व्यास , पाणिनी ,  माघ , कालि , आधार।।०५।।
-------
आचार्य प्रताप

#गूढार्थ
------------

Path पाथ- राह

1 टिप्पणी:

आपकी टिप्पणी से आपकी पसंद के अनुसार सामग्री प्रस्तुत करने में हमें सहयता मिलेगी। टिप्पणी में रचना के कथ्य, भाषा ,टंकण पर भी विचार व्यक्त कर सकते हैं