#दोहे
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जिस दिन युवा देश के , समझेगे निज पाथ**।
संस्कृत अरु साहित्य को , लेंगे हाथों-हाथ।।०१।।
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आज हमारी संस्कृति , रोती है निज देश।
संस्कृत भाषा जा रही , देश छोड़ पर-देश।।०२।।
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पुरातनी भाषी यहाँ , माँगे निज अधिकार।
बिलख-बिलख कर कह रही , करिए पुनः विचार।।०३।।
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जाना हो यदि आपको , अब आगे परदेश।
संस्कृत का कर अध्ययन , पूर्ण करें आदेश।।०४।।
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संस्कृत के साहित्य की , महिमा बड़ी अपार।
वाल्मीकि , व्यास , पाणिनी , माघ , कालि , आधार।।०५।।
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आचार्य प्रताप
#गूढार्थ
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बहुत सुन्दर् और सशक्त दोहे।
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