छंद- दोहा
तिथि- २६-०१-२०२१
दिवस- मंगलवार
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फैली चारों ओर ध्वनि , जन गण मन की तान।
सदा तिंरगा देश की , करवाता पहचान।।०१।।
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राष्ट्र भक्ति का पाठ अब , गाये सदा प्रताप।
महापुरुष की याद में, मिले सभी हैं आप।।०२।।
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बनकर सबका गर्व ध्वज, छूता है आकाश।
इसके गौरव गान पर, आज हुआ अवकाश।।०३।।
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जन गण की पहचान है , ध्वज के तीनों रंग।
एक सूत्र में बँध गए , बनकर के इक अंग।।०४।।
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लहराता है विश्व-भर , बन भारत की शान।
यही तिरंगा देश की, करवाता पहचान।।०५।।
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आज दिवस गणतंत्र का, मना रहे हैं लोग।
माह जनवरी में सदा, बना दिया है योग।।०६।।
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ध्वज के तीनों रंग हैं , हरित नरंगी श्वेत ।
चक्र सदा सिखला रहा , रहिये सदा सचेत ।।०७।।
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श्वेत रंग है शांति का , हरित हर्ष रमणीक |
केशरिया बलिदान का , रहता सदा प्रतीक ।।०८ ।।
चक्र वर्ण नीलम रखा , रेखाएँ चौबीस |
सुख-दुख में चलते रहे , नाम जपें सब ईश ।।०९।।
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राष्ट्र-प्रेम की भावना , जगी हुई है आज |
भारत वन्दे मातरम् ,गूँजे सकल समाज ||१० ||
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केसरिया माथे सजे , हरित सजे भू -भाग।
नीलम चक्र सहित सजा , श्वेत हृदय तव बाग।।११।।
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देख विषमता क्रंदते , उच्चारित गणतंत्र।
मत-कोश श्रीवृद्धि हित , दिए निरक्षर मंत्र।।१२।।
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बहुत सुन्दर दोहे।
जवाब देंहटाएंमीठा-मीठा हप्प!
जवाब देंहटाएंकड़वा-कड़वा थू!!
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