प्रभात दृश्य में एक गीत जैसा कुछ
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प्रभात दृश्य देखिए।
विशाल वृक्ष देखिए।।
अनंत रश्मियाँ बहें।
सवार अश्व हो चलें।
प्रताप देखता रहे-
प्रकाश पुंज देखिए।
खुली धरा खुला गगन।
प्रणाम कर करें मनन।।
बढ़े सदा स्वमर्ग पर-
निशान लक्ष्य साधिए।
नम धरा है नम गगन।
तन मगन है मन मगन
प्रसन्नतम् दिखें नयन-
तुहिन कणों को देखिए।
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आचार्य प्रताप
सुन्दर गीत।
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