रविवार, 18 अक्टूबर 2020

तलाश

छंद- पञ्चचामर छंद
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लिखे  प्रताप   आज  छंद  तारतम्य  जोड़  के।
तलाश  यत्र - तत्र   किंतु  शब्द - शब्द  जोहते।
प्रणाम ईश  को  करूँ  समस्त विश्व व्याप्त जो।
किसी कहाँ कभी मिले कि आज मुझे प्राप्त हो।

                                        - आचार्य प्रताप

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