छंद- पञ्चचामर छंद
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लिखे प्रताप आज छंद तारतम्य जोड़ के।
तलाश यत्र - तत्र किंतु शब्द - शब्द जोहते।
प्रणाम ईश को करूँ समस्त विश्व व्याप्त जो।
किसी कहाँ कभी मिले कि आज मुझे प्राप्त हो।
- आचार्य प्रताप