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तरह-तरह के जन को लाते।
सारा दिन उत्पात मचाते।।
रँगते जाते मेरी चोली।
क्या सखि साजन? ,
ना सखि होली।। ०१।।
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आते ही मैं खुश हो जाती।
इनके बिन मैं रह ना पाती।।
अच्छे हो सबके व्यवहार।
क्या सखि साजन? नहीं त्योहार।।०२।।
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गोल कपोलों को ये चूमें।
मस्ती में ही रहते झूमे।
दिखलाते हैं सदा ये प्यार।
क्या सखि साजन?,
नहीं त्योहार।।०३।।
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एक बार साल में आए।
नहीं कभी हम भूल पाए।
हरे गुलाबी काले लाल।
क्या सखि साजन? ,
नहीं गुलाल।।०४।।
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होली आती है हर साल।
जन गण दिखते काले लाल।
झगड़े करते हैं चिरकाल।
क्या सखि साजन? ,
नहीं गुलाल।।०५।।
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