दोहे


होली

तरह-तरह के रंग ले, खेलो तुम अब खेल।
रंगों के इस खेल ने, करा दिया अब मेल।।०१।।


श्यामल श्यामल गाल पर,श्यामा मले गुलाल।
पिचकारी ले श्याम जी, करते खूब धमाल।।०२।।

रंग फागुनी चढ़ रहा, लेकर नई उमंग।
होली के बहु रंग में, मिला सनेही रंग।।03।।
 


 आचार्य प्रताप

Achary Pratap

समालोचक , संपादक तथा पत्रकार प्रबंध निदेशक अक्षरवाणी साप्ताहिक संस्कृत समाचार पत्र

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