अपराजिता छंद - आचार्य प्रताप

#अपराजिता_छंद
विधान-(नगण नगण रगण सगण लघु गुरु)
(111  111  212 112   12)
14 वर्ण, 4 चरण,
दो-दो चरण समतुकांत
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चतुर चपल चाल चंचलता चली।
वसन वसित मंजरी मन में फली।
सरस सलिल साथ ले सरिता  कहे
विरह  नयन   गात  पे चपला बहे।
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लहर - लहर शीत- सी  बहती रहे।
सरल  सुगम   कामना  पलती रहे।
सफल सकल  साधना करती  रहे।
कठिन विमल  वेदना    हरती  रहे।
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प्रखर प्रबल तूलिका  चलती रहे।
सकल हृदय  चेतना  भरती रहे।
मधुर-मधुर ज्ञान भी बढ़ता चले।
नमन दमन दंभ को करता चले।
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#आचार्य_प्रताप
#Acharypratap
Achary Pratap

समालोचक , संपादक तथा पत्रकार प्रबंध निदेशक अक्षरवाणी साप्ताहिक संस्कृत समाचार पत्र

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