वाणी- वन्दना - पञ्चचामर छंद


विधा-पञ्चचामर_छंद
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प्रणाम माँ तुम्हें करे प्रताप शान से सदा ।
अपार ज्ञान कोष से हरो समस्त आपदा।
विराजमान हंस में प्रकाश ज्ञान का‌ भरो।
सफेद वस्त्र धारिणी विकार दूर भी करो।

किताब हार हाथ में  सितार साथ में लिए।
उपासना करूँ सदा सरोज पुष्प भी दिए।
करूँ प्रणाम शारदे विशाल हंसवाहिनी।
दिया जला दिया गया विशेष ज्ञानदायिनी।

नमामि मातु शारदे नमामि ज्ञान दायिनी।
सरस्वती दया करो नमामि हंस वाहिनी।
कृपा करो कृपा करो प्रकाश ज्ञान का भरो।
दया करो दया करो समस्त आपदा हरो।

                        -आचार्य प्रताप

Achary Pratap

समालोचक , संपादक तथा पत्रकार प्रबंध निदेशक अक्षरवाणी साप्ताहिक संस्कृत समाचार पत्र

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