प्रभात दृश्य में एक गीत जैसा कुछ
---------------------------------------
प्रभात दृश्य देखिए।
विशाल वृक्ष देखिए।।
अनंत रश्मियाँ बहें।
सवार अश्व हो चलें।
प्रताप देखता रहे-
प्रकाश पुंज देखिए।
खुली धरा खुला गगन।
प्रणाम कर करें मनन।।
बढ़े सदा स्वमर्ग पर-
निशान लक्ष्य साधिए।
नम धरा है नम गगन।
तन मगन है मन मगन
प्रसन्नतम् दिखें नयन-
तुहिन कणों को देखिए।
--------------------
#आचार्य_प्रताप
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
आपकी टिप्पणी से आपकी पसंद के अनुसार सामग्री प्रस्तुत करने में हमें सहयता मिलेगी। टिप्पणी में रचना के कथ्य, भाषा ,टंकण पर भी विचार व्यक्त कर सकते हैं