प्रभात दृश्य में एक गीत जैसा कुछ

प्रभात दृश्य में एक गीत जैसा कुछ
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प्रभात दृश्य देखिए।
विशाल वृक्ष देखिए।।

अनंत  रश्मियाँ   बहें।
सवार अश्व  हो चलें।
प्रताप  देखता  रहे-
प्रकाश पुंज देखिए।

खुली धरा खुला गगन।
प्रणाम कर करें  मनन।।
बढ़े  सदा  स्वमर्ग  पर-
निशान लक्ष्य साधिए।

नम धरा है नम गगन।
तन मगन है मन मगन
प्रसन्नतम् दिखें नयन-
तुहिन  कणों को देखिए।
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#आचार्य_प्रताप
#acharypratap
Achary Pratap

समालोचक , संपादक तथा पत्रकार प्रबंध निदेशक अक्षरवाणी साप्ताहिक संस्कृत समाचार पत्र

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