सौंदर्ययुक्त आशुचित्र

#दोहे

सुंदर मुखड़ा देखकर, मोहित हुआ प्रताप।
ज्ञान बड़ा सौंदर्य से, सुंदरता अभिशाप।।०१।।

मुखड़ा सुंदर है बड़ा, बड़ा तुम्हारा ज्ञान।
मैं तेरे लायक नहीं, मैं ठहरा आज्ञान।।०२।।

कैसे कह दूं प्रेम है, तुमसे अब भी यार।
व्याकुल होकर भटक रहा,हर पल मैं संसार।।०४।।

नयन अधर सुंदर दिखे, सुंदर दिखा कपोल।
स्वार्णिम तेरे केश हैं, रूप तेरा अनमोल।।०५।।

विधु से पूंछूँ मैं सदा,अब तक मिले न नैंन।
दिखती कैसी प्रेयसी, हर पल मैं बेचैन।।०६।।

प्रेमी प्रसंग प्रेयसी,प्रियवर प्रिय है प्रेम।
तुम बिन जीवन रस नहीं, शांति नहीं है क्षेम।।०७।।

दर्शन देजा शुभा श्री, मिला नयन से नैन।
अब उर शीतल हो गया, मिला अभी है चैन।।०८।

वादा कर ले साजनी , दे  हाथों में हाथ।
जीवन रूपी राह में, नहीं छोड़ना साथ।।०९।।
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आचार्य प्रताप
#acharpratap
Achary Pratap

समालोचक , संपादक तथा पत्रकार प्रबंध निदेशक अक्षरवाणी साप्ताहिक संस्कृत समाचार पत्र

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