सौंदर्य आहें-2

दोहा
--------
काया कमसिन कामिनी , मन मेरा मकरंद ।
अब तुम पर ही मैं लिखूं , प्यारे प्यारे छंद ।।०१।।
-------
नयन-नयन में हो रही ,दिल से दिल की बात।
अधरों में आकर रुके, दिल के सब जज्बात।।०२।
------
अधर,अधर से मिलन को, करें प्रतीक्षा रोज। 
पावन प्रेम बना रहे , जैसे पंक-सरोज।।०३।।
-------------
आचार्य प्रताप
Acharypratap
Achary Pratap

समालोचक , संपादक तथा पत्रकार प्रबंध निदेशक अक्षरवाणी साप्ताहिक संस्कृत समाचार पत्र

एक टिप्पणी भेजें

आपकी टिप्पणी से आपकी पसंद के अनुसार सामग्री प्रस्तुत करने में हमें सहयता मिलेगी। टिप्पणी में रचना के कथ्य, भाषा ,टंकण पर भी विचार व्यक्त कर सकते हैं

और नया पुराने