विदाई समारोह पर संस्मरण


विदाई सदैव ही आँखें नम कर जाती है।
बहुत दुःखी हूँ एक साथ दो विद्यालयों के छात्र-छात्राओं को विदाई समारोह में विदा किया है एक को दिनांक ६ फरवरी को और एक ०७ फरवरी २०१८ को ये दुःख कहा रोता।
यदि उनके सामने रोता हूं तो वो और भावुक हो जायेंगे अतः मैंने सोचा मेरे पास माँ शारदा के द्वारा दी गई शब्द-शक्ति है अतः उसका लाभ उठाऊँ।
और अाप सभी की प्ररेणादायक प्रतिक्रिया ने मेरे दुःख में मेरा साथ दिया और ढाढस बंधाया उसके लिए हृदयतल से आभार व्यक्त करता हूं।
#बहुत_बहुत_याद_आओगे_आप।

#प्रताप

#शीर्षक- #विदाई
-----------------------------------
विदाई चाहे तो विवाह के उपरांत हो या कक्षा की समाप्ति पर जब भी होती है आँखें नम कर जाती है।

          जब भी कक्षा में प्रवेश करता था मेरे लाडले प्यारे छात्र ससम्मान नमस्ते/प्रणाम अध्यापक जी! कहते हुए खड़े हो जाते थे।
                      मैं भी प्रतिक्रिया में प्रणाम /नमस्ते बोल कर बिठा दिया करता था। फिर पढ़ाना आरंभ ही करता था तो बीच में एक छात्र कुछ कहता है.... मेरे कानों तक ध्वनि आती है किन्तु स्पष्ट नहीं।
मैं उन सब पर "लाल-पीला  होता हूँ" और डाँटते हुए उन्हें कहता हूं:-   #नालायकों! तुम कुछ नहीं करोगे मात्र कक्षा में खलबली और कोलाहल कर सकते हो कक्षा को #चिड़ियाघर या #सब्जीमंडी  समझ लिया है।
फिर सब शांति से बैठकर मुझे सुनते हैं और जैसे ही मुझे अच्छा लगने लगता है और मैं  सोच रहा होता हूं कि मेरे छात्र सुधर रहे हैं तुंरत ही कोई अन्य छात्र कौंवे की भाँति कर्कश ध्वनि में कुछ कहता है और मुझे विवश हो कर पुनः "डाँट पिलाना" पड़ता है।
ऐसा नहीं है कि मैं अपने छात्रों को प्यार नहीं करता , करता हूं पर दिखा नहीं सकता अन्यथा वो किसी की नहीं सुनते ।
मैं अपने बच्चों के साथ थोड़ा हास्य-व्यंग्य के माध्यम से उनका मनोरंजन भी करवाता था कभी उन पर ही कभी स्वयं को शीर्षक बता कर।
            मुझे बहुत अच्छी तरह से स्मरण है  १४ नवम्बर का दिन था और विद्यालय में #बाल_दिवस मनाया जा रहा था, मैं  अचानक कक्षा में पहुँचा और सभी छात्रों ने एक साथ  अभिवादन किया और मैंने बैठने की आज्ञा दे ही दी थी।
मैंने देखा कि एक छात्रा थोड़ा अधिक फैन्सी  कपड़े पहने हुए थी , तो कंधों के पास थोड़ा खुला हुआ था और उनके हाथ की त्वचा स्पष्ट  दिखाई दे रही थी, मैंने उसे पास बुलाया और थोड़े मधुर और सीरियस स्वर में कहने का प्रयास किया कि सब छात्र शांति बनाए बैठे थे ऐसा लग रहा था जैसे कि उन्हें  "साँप सूंघ गया हो"
और जो भी मैंने कहा था सभी ने सुना।
किंतु छात्रा ने अनसुना करने का बहाना करते हुए कहा- "क्या श्रीमान जी समझ नहीं आया?"
मैंने कहा - बेटा आपने दुकानदार को पूरे पैसे दिए थे न?
                   जी हाँ अध्यापक जी! , छात्रा की तरफ से प्रतिक्रिया आई ।
       तो ये कपडा इतना फटा क्यों है? मैंने पूछा।
वह "झेंपते हुए" कहती हैं कि ये नया फैशन है।

ओह ये बात जैसे दूरदर्शन में कलाकार पहनते हैं।
सभी छात्रोंं ने हँसना प्रारंभ कर दिया।
और कालांश समाप्त हो गया।
ऐसे ही की कहानियां हैं जो बता सकता हूं किन्तु नहीं।
मन और आँखें दोनों द्रवित हो जाती हैं , जब बीती हुई बातें याद आती हैं।
हाँ तो मैं विदाई समारोह के बारे में जानकारी दे रहा था।
यह ऐसा अवसर होता है जब नदियां अपने घर हिमालय से सिंधु सागर के एक छोर पर स्थित हों। और सिंधु सागर में मिलने को तैयार होती हैं।
जब एक यात्री हैदराबाद शहर से दिल्ली हवाई अड्डे पर उतरने के पश्चात अपनी अगली उड़ान कोलकाता के लिए भरने हेतु वायुयान के प्रतिक्षा कर रहा  होता है।
विद्यालयीन विदाई समारोह भी कुछ ऐसा ही होता है।
यात्री उतरने से पूर्व क्षमा याचना करता है कि जो भी  गलतियां हुई हों उन्हें क्षमा कीजिएगा।
पर  हम शिक्षक उन्हें कैसे समझाए कि आप मात्र एक यात्री है और हम एक विमान की भाँति है हमने की यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुँचाया है और न जाने कितनों को और पहुँचाना होगा। हमें खुशी मिलती है कि जो कार्य हमने अपने विद्यार्थी काल में  नहीं किया आज हम अपने छात्रों के माध्यम से करते और कराते हैं।

बस अपने सभी छात्रों से इस विदाई समारोह के शुभ या अशुभ अवसर पर शुभकामनाएं देना चाहूँगा। कि अपने शिखर तक पहुंचे।

शुभ इसलिए कि हमारे छात्रों आगे बढ़ रहें हैं और अशुभ इसलिए कि हम अपने कीमती और अनमोल  छात्रों से जुदा हो रहे हैं।
अब तक की यात्रा मंगलमय रहीं आगे भी मंगलमय रहें।

#बहुत_याद_आएगी_आप_सबकी ।

#प्रताप

Achary Pratap

समालोचक , संपादक तथा पत्रकार प्रबंध निदेशक अक्षरवाणी साप्ताहिक संस्कृत समाचार पत्र

Enregistrer un commentaire

आपकी टिप्पणी से आपकी पसंद के अनुसार सामग्री प्रस्तुत करने में हमें सहयता मिलेगी। टिप्पणी में रचना के कथ्य, भाषा ,टंकण पर भी विचार व्यक्त कर सकते हैं

Plus récente Plus ancienne