PTM और बफरिंग होता भविष्य

आज  इस Digital Era की पीटीएम (Parent-Teacher Meeting) अब 'संवाद' का मंच नहीं, बल्कि 'कस्टमर केयर' की खिड़की बन गई है। अभिभावक क्लासरूम में ऐसे प्रवेश करते हैं जैसे उनका 'डेटा पैक' (बच्चा) सही स्पीड नहीं दे रहा और सामने बैठा शिक्षक 'जिओ' का टावर हो, जिसे उखाड़ना ज़रूरी है।
एक संभ्रांत आधुनिक काल की माताजी ने शिक्षक की मेज पर अपना आईफोन पटकते हुए कहा, "माटसाब! हमारा बंटी घर पर तो 'अलेक्सा' और 'सिरी' से तेज़ जवाब देता है, स्कूल में इसे क्या हो जाता है?"

शिक्षक ने एक गहरी साँस ली, जो शायद उनकी सैलरी से ज़्यादा लंबी थी, तब बोले, "मैडम, समस्या यह है कि स्कूल के
व्हाइट बोर्ड पर 'स्किप ऐड' (Skip Ad) का बटन नहीं होता। आपके बंटी का अटेंशन स्पैन (ध्यान) 15 सेकंड की 'रील' जितना रह गया है। जैसे ही मैं मैथ्स का एक फॉर्मूला समझाना शुरू करता हूँ, यह अपनी आँखों के शटर गिराकर 'स्लीप मोड' में चला जाता है। इसे लगता है कि मैं कोई लंबा 'पॉडकास्ट' हूँ जिसे बाद में 2x स्पीड पर सुना जा सकता है।"
बगल में बैठा बंटी, जो शारीरिक रूप से कुर्सी पर था पर मानसिक रूप से 'माइनक्राफ्ट' खेल रहा था, तुरंत बोल पड़ा, "सर, आप अपडेटेड नहीं हैं। मैंने होमवर्क 'चैटजीपीटी' (ChatGPT) से कॉपी करके आपको ई-मेल किया था। अगर आपने नोटिफिकेशन चेक नहीं किया, तो यह सर्वर डाउन होने की समस्या आपकी है, मेरी नहीं।"

पिताजी, जो 'व्हाट्सएप विश्वविद्यालय' के मानद कुलपति प्रतीत हो रहे थे, उन्होंने हस्तक्षेप किया—, बीच में कूदे, "देखिए मास्टर साहब, आप बच्चे पर रट्टा मारने का प्रेशर मत डालिए। इसे बड़ा होकर 'इंफ्लुएंसर' बनना है, पाइथागोरस की प्रमेय इसके 'सब्सक्राइबर' नहीं बढ़ाएगी। हमें तो बस यह बताइए कि इसके 'लाइक्स' ओह स्वॉरी नंबर्स कम क्यों आ रहे हैं?"

अंत में, शिक्षक ने रिपोर्ट कार्ड ऐसे थमाया जैसे रेस्टोरेंट का बिल हो और अभिभावकों ने उसे ऐसे देखा जैसे 'नेटफ्लिक्स' का सब्सक्रिप्शन रिन्यू करने का रिमाइंडर। पीटीएम संपन्न हुई। निष्कर्ष वही निकला—जेब में स्मार्ट फ़ोन है, घर में स्मार्ट टीवी है, पर विडंबना देखिए कि सामने खड़ा भविष्य (बच्चा) 'हैंग' हो रहा है।

आचार्य प्रताप
Achary Pratap

समालोचक , संपादक तथा पत्रकार प्रबंध निदेशक अक्षरवाणी साप्ताहिक संस्कृत समाचार पत्र

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