गुरुवार, 6 मई 2021

जयतु संस्कृतम्


२०१७ में लिखे गए थे -
मुक्तक - १.
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मालविकाग्निमित्रम् विक्रमोर्वशीयम् अभिज्ञानशाकुन्तलम्।
कृते कालिदासः महाकविः इति त्रीणि नाट्यशास्त्रम्।
रघुवंशम् कुमारसंभवम् कृते इति द्वे महाकाव्ये -
सप्त ग्रंथं कृते द्वे खंडकाव्ये ऋतुसंहार मेघदूतम्।।
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मुक्तक-२
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वदतु संस्कृतम् जयतु संस्कृतम्।
जयतु भारतम् पठतु संस्कृतम्।
लिखतु संस्कृतम् , संस्कृतेन चिंतयतु-
विश्वाधारः एक वर्णः जयतु संस्कृतम्।।

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