#दोहे
जोगिरा सारारारारा जोगिरा सारारारारा
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नयन सरोवर सम प्रिये , रक्तिम अधर कपोल।
केश सुसज्जित देखकर , मन जाता है डोल।।०१।।
जोगिरा सारारारारा जोगिरा सारारारारा
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मृगनयनी मीन-आक्षी , मंजु मयूरी चाल।
रंगों के इस पर्व पर , रँग दूँगा अब गाल ।।०२।।
जोगिरा सारारारारा जोगिरा सारारारारा
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आज #होलिका दह रही , #होली_का है पर्व।
हमें भक्त प्रहलाद की , भक्ति पर है गर्व।।०३।।
जोगिरा सारारारारा जोगिरा सारारारारा
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राजनीति किस ढंग की , करते चौकीदार ।
मोदी-मोदी ही करें , जनता आज पुकार।।०४।।
जोगिरा सारारारारा जोगिरा सारारारारा
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मन मर्जी लिखते सभी , अपने सकल विधान।
भाव - शिल्प के ज्ञान से , रहते ये अंजान।।०५।।
जोगिरा सारारारारा जोगिरा सारारारारा
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जन-गण होली खेलते , लेकर रंग गुलाल।
युगों-युगों से चल रही , यही प्रथा गोपाल।।०६।।
जोगिरा सारारारारा जोगिरा सारारारारा
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मिटे धारा से ईर्ष्या , अनाचार व्यभिचार।
मन तन हर्षित कर रहा , रंगों का त्यौहार।।
जोगिरा सारारारारा जोगिरा सारारारारा
आचार्य प्रताप
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