होली मिलन समारोह-2

आज के कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध समीक्षक  साहित्यकार आद. दादा श्री #गिरेंद्र_सिंह_भदौरिया '#प्राण' जी की उपस्थिति में  झुनझुन , राजस्थान के प्राध्यापक तथा प्राच्य विभाग के शोध-निदेशक #डॉ_सूर्य_नारायण_गौतम जी  सहित  , जयपुर से #सलोनी_क्षितिज जी , #डॉ_पूजा_मिश्रा_आशना' जी  सभी ने एक से बढ़कर एक होली की रचनाओं का पाठ किया।
दादाश्री #प्राण जी ने अतिन्यून समय में अक्षरवाणी काव्य-मंजरी  के निवेदन को स्वीकार कार अक्षरवाणी संस्कृत समाचार पत्रम्  को अनुग्रहित किया वहीं पर डॉ. गौतम जी ने भी न्यून समय में ही निवेदन को स्वीकारा जिसके लिए हम सदा आपके आभारी रहेंगे
कार्यक्रम में रंगारंग समारोह में अद्भुत और सुंदरतम् होली की रचनाओं का सभी ने  उत्कृष्ट प्रस्तुति दी।
जिसमें  संस्कृत विश्वविद्यालय के छात्र भुवन वशिष्ठ जी ने मंगलाचरणम् के माध्यम से साहित्यिक यज्ञकुंड में अग्निहोत्र की तत्पश्चात् डॉ आशना जी ने वाणी की अधिष्ठात्री देवी माँ वीणापाणि की वंदना अपने कोठिल-कंठ के मध्यम से मधुरतम् प्रस्तुति दी तब जाकर माँ वीणापाणि ने कार्यक्रम को आगे बढ़ाने में सहयोग किया।
तब जयपुर से सलोनी क्षितिज जी ने होली की अद्भुत रचना प्रस्तुत करते हुए ब्रज के लाल कन्हैया तथा उनकी गोपियों के रंग खेलने को एक अद्भुत काव्य रूप में सृजित कर हम सब को कर्णप्रिय स्वरों में शब्दामृत बरसाया और हमारे मन-मस्तिष्क को आनंदमयी बना कर आगे बढ़ने का आदेश दिया तब डॉ. आशना जी ने पुनः अपने कोकिलकंठ से होली की रचना जिसमें प्रच्य होली को सवैया छंद तथा कुकुभ ,लावणी , ताटंक छंद में सुनाया और मनविभोर  कर दिया।
होली की विशेषता बताते इस डॉ. गौतम जी ने  हिंदी की सहभाषा बघेली  में अपना काव्यपाठ किया और हमें रसानंद प्रदान किया कार्यक्रम के अंतिम चरण में दादा श्री ने सभी की समीक्षात्मक आशीर्वाद प्रदान किया और अपनी अद्भुत और अविस्मरणीय एकाक्षरी रचना प्रस्तुत की  जो कि संस्कृत के पूर्व विद्वान तथा महाकवि माघ तथा भारवी जी की शिल्पात्मक दृष्टि के समतुल्य  रचना  रखी और अपना परिचय काव्यरूप में प्रदान किया तथा अंत में डॉ. गौतम जी ने कल्याण मंत्र से कार्यक्रम की समाप्ति की , इस समस्त कार्यक्रम को संबोधित और संचालित करने का शुभ अवसर  स्वयं मुझे  प्राप्त हुआ तथा कार्यक्रम की परिकल्पना और योजना सलोनी क्षितिज जी ने बनाई।

सभी के आगमन और अद्भुत प्रस्तुति के लिए  मैं और अक्षरवाणी दोनों सदा ही आभारी रहेंगे।
आप यह कार्यक्रम यहाँ देख सकते हैं।
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https://youtu.be/gKvK8ImkaPM

Achary Pratap

समालोचक , संपादक तथा पत्रकार प्रबंध निदेशक अक्षरवाणी साप्ताहिक संस्कृत समाचार पत्र

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