छंद- सारसी छंद (विषम चरण चौपाई तथा सम चरण दोहा)
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जयचंदों से करूँ निवेदन, माने मेरी बात।
सत्य सनातन रखें आचरण , विमल रखें मन-गात।
रजक-श्वान की दशा ज्ञात क्या , जयचंदी निष्णात।
शीघ्र त्याग दे यदि बचना है , वरना होगी मात।।
आचार्य प्रताप
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