जयचंद -सारसी छंद

छंद- सारसी छंद (विषम चरण चौपाई तथा  सम चरण दोहा)

----
जयचंदों    से   करूँ   निवेदन,    माने  मेरी  बात।
सत्य सनातन रखें आचरण , विमल रखें मन-गात।
रजक-श्वान की दशा ज्ञात क्या , जयचंदी निष्णात।
शीघ्र  त्याग  दे यदि बचना है  ,  वरना  होगी  मात।।

आचार्य प्रताप
Achary Pratap

समालोचक , संपादक तथा पत्रकार प्रबंध निदेशक अक्षरवाणी साप्ताहिक संस्कृत समाचार पत्र

Enregistrer un commentaire

आपकी टिप्पणी से आपकी पसंद के अनुसार सामग्री प्रस्तुत करने में हमें सहयता मिलेगी। टिप्पणी में रचना के कथ्य, भाषा ,टंकण पर भी विचार व्यक्त कर सकते हैं

Plus récente Plus ancienne