दोहा
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मुश्किल
बढ़ी सामाज की,
बढ़ता गया
दहेज।
लड़का-लड़की
प्रेम से,
करें नहीं
परहेज।।०१।।
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खामोशी में
भी कहे,
सच्ची बात
प्रताप।
सूरज चंदा
ने दिया,
जुगनू दिये
न ताप।।०२
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चोरी करते
चोर सब,आदत इनकी जीर्ण।
शब्द-भाव
के चोर है,
सोच रही
संकीर्ण।।०३।।
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-आचार्य प्रताप