गुरुवार, 17 दिसंबर 2020

परीक्षा का तनाव

 

परीक्षा का तनाव

 

आज पूरे देश के छात्रों में परीक्षा का तनाव बना हुआ है जहाँ , केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा मंडल में कक्षा दसवीं और बारहवीं की परीक्षाएँ मार्च के प्रथम और द्वितीय सप्ताह में  आरम्भ हो  रही हैं , वहीं सभी राज्य स्तरीय परीक्षा मंडल भी  सत्र 2018-2019 के आखिरी चरण में परीक्षाओं  का आयोजन करने जा रहें हैं ; सामान्यतः ऐसे अवसरों पर दसवीं के  छात्रों में दबाव  ज्यादा होता है जिसका मूलभूत कारण होता है 'प्रथम अवसर'। जैसा की सभी जानते ही हैं कि ये छात्र पहली बार मंडल के द्वारा आयोजित परीक्षा में सम्मिलित होने वाले होते है तो उनका दबाव  में होना निश्चित है। क्योंकि परीक्षा कक्ष में उन्हें परीक्षकों, पर्वेक्षकों तथा निरीक्षकों का डर उनके मन में घर किये बैठा है कि यदि कोई गलती हुयी तो क्या होगा ? क्या वो हमें परीक्षाकक्ष से सीधे बहार का रास्ता दिखेगे ?

हमारा प्रश्न-पत्र  कैसा होगा ? कहीं अधिक जटिल प्रश्नों की भरमार न हो जाये और हमारा साल बर्बाद हो जाये ?

मार्च और अप्रैल के महिने में माहौल थोड़ा बदल सा जाता है। गलियों में बच्चों के खेलने का तेज़ शोर नहीं सुनाई देता, साइकिल पर उसके कमाल के स्टंट देखने को नहीं मिलते, पार्क से भी अकसर शाम के वक्त बच्चे नदारत दिखते हैं। ऐसा इसलिये नहीं क्योंकि इन दो महीनों में कोई कर्फ्यू लग जाता है, बल्कि इसलिये क्योंकि ये बच्चों की परिक्षाओं का समय होता है और इन दो महीनों में वे परिक्षाओं के भारी दबाव में होते हैं। इस दौरान बच्चों के चहरे आर हावभाव से उनका तनाव साफ देखा जा सकता है। विशेषज्ञों सलाह देते हैं कि बच्चों को खुद को बहुत ज्यादा नंबर लाने के दबाव में नहीं डालना चाहिये। बस सही तैयरी करनी चाहिये और ये तय करना चाहिये कि उन्होंने जितना भी तैयार किया है, उसमें अपना बेहतर परिणाम दे पाएँ

                                                                                      सामन्यतः ऐसे विचार एक औसत छात्रों में अधिक होता है क्योंकि ये वर्षभर पपढाई को  छोड़कर सारे कार्य करतें हैं  और जब परीक्षा का समय आता है तब उनके मन में तनाव की दशा अधिक होती है। जब बच्चे नियमित पढाई नहीं करते है और जैसे ही परीक्षा पास आने लगती है वैसे ही  छात्रों  में एग्जाम फोबीया (Exam phobia)  हो जाता है | एग्जाम फोबिया मतलब   छात्रों   के  अन्दर परीक्षा से  होने वाले तनाव के  कारण भय और डर आ जाता है | और वह दिन रात अच्छे नंबर लेने के लिए पढाई करने लगते है और  ऐसी स्थिति में उनके अन्दर परीक्षा का तनाव हो जाता है आलम ये होता है कि  वो सही से खाना पीना छोड़ रात दिन पढाई करते है ये  तनाव , डर और भय ये सब  उनके लिए ठीक नही है उसका असर उनके परिणाम  (result) और स्वस्थ (health) पर पड़ता है।

परीक्षा के समय  तनाव का कारण 
·         परीक्षा की सही तैयारी न होना
·         अच्छे अंक लाने का तनाव
·         भविष्य में होने वालें बदलाव का तनाव
·         माता-पिता की उम्मीद
·         प्रतिस्पर्धा की भावना

 इस पर मैं इतना सब कुछ इसलिए पूर्ण विश्वास  से कह सकता हूँ क्योंकि मैं भी कभी उनकी आयु से गुजरा था और मुख्य बात तो यह कि  मैं भी उस समय का एक औसत छात्र ही हुआ करता था। उन सभी छात्रों  के लिए अपनी  ओर  एक ही सन्देश देना चाहूँगा  जो सदैव मेरे पिताश्री मुझे कहते थे कि  "बुरे समय पर अधिक धैर्य  आवश्यकता होती है उस समय हमें अपने  मन को शांत रखना चाहिए। योग , प्रणायाम , आलम-विलोम और अन्य मानसिक व्यायाम करना चाहिए। इससे हमरा मन एकाग्र होता है और फिर प्रतिदिन पढाई करने की तीव्र इच्छा का विकास होता है। 

                                   

अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है अभी  अपनी शिक्षा का स्टार सुधर सकते  है यह सब आपके ही हाथों में है आपके माता-पिता ,गुरुजनों ने अपने कर्तव्य का निर्वहन बड़ी कुशलता से किया है बस आप उनकी कुशलता का मन-सम्मान रखना आपके हाथों में है।  सभी छात्रों से मेरा करबद्ध निवेदन है कि  अपने माता-पिता और आचार्यों के श्रम का सही पारिश्रमिक लाये, जग में उनका नाम शीर्ष पर लाएं।

  • ·         सकारात्मक सोच  (Positive Thinking)
  • ·         समय प्रबंधन (Time Management)          
  • ·         परिणाम की चिंता न करें ( Do not worry about the result )
  • ·         पर्याप्त नींद लें (Get enough sleep )

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