छंद - पीयूष वर्ष / आनंद वर्धक
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माँ चरण वंदन करुँ मैं झुक सदा।
नेक हो दिल साफ हो ऐसी अदा।
नेकियों पर ध्यान देना चाहिए।
हर वदी को भूल जाना चाहिए।
रात हैं नव चेतना की जाग लो।
कर सको पूजन करो तुम भाग लो।
नव दिनों की बात है उपवास कर।
फिर सदा माँ के हृदय में वास कर।
फूल चूनर हाथ ले कर हार भी।
कर रहे हैं माँ सभी श्रृंगार भी।
प्यार माँ-सा ही मिले संसार से।
आज तो कोई न लौटे द्वार से।
अब सदा जयकार माँ की कीजिए।
नाम तो हर बार माँ का लीजिए।
शारदे , लक्ष्मी , उमा का ध्यान कर ।
दंभ का अब त्याग कर निज शीश धर।
-आचार्य प्रताप
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