अलंकरणरण युक्त
 
 लाल, लाल के भेद को, भेदेगा श्रीमान।
 रचनाएं अरु पटल का, करे सदा सम्मान।। 
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बाल बचा लो बाल से , बाल खींचते बाल।
 बचा न पाए बाल से, उखड़ गए सब बाल।। 
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गाल लाल हैं लाल के, लाल दिखे अब लाल।
 लाल लाल ही दिख रहा,चोंट लगी जब भाल।। 
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सुरा सुराही देखकर , बुझे न मन की प्यास।
 यौवन में रस घोल दे , पावस भर दे आस।।
आचार्य प्रताप

