कुण्डलिया छंद - आचार्य प्रताप

कुण्डलिया छंद

सामाजिक हो दूरियाँ ,  दिवस रैन अरु चंद।
जीवन  से  यदि मोह हो , घर  में  रहिए बंद।
घर  में   रहिए   बंद  ,   रहेगा  दूर  संक्रमण।
जनसेवक   संदेश , दे  रहे  बड़ा  आक्रमण।
कह प्रताप अविराम ,  सुनें सब जनता दैनिक।
काम-काज से दूर  , बनो न अभी सामाजिक।।०१।।
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रहें समाजिक दूरियाँ , घूमें नहीं विदेश।
नववर्ष  के  पूर्व   में, जनसेवक  संदेश।
जनसेवक संदेश, रहें सब घर में ही  बंद।
रोग संक्रमण ह्रास , जग में  हों रोगी चंद।
सुनिए सुधिजन बंधु , कहें जो बातें दैनिक।
जीवन से हो मोह , त्यागिए मेल समाजिक।
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आचार्य प्रताप
Achary Pratap

समालोचक , संपादक तथा पत्रकार प्रबंध निदेशक अक्षरवाणी साप्ताहिक संस्कृत समाचार पत्र

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