कुण्डलिया छंद
सामाजिक हो दूरियाँ , दिवस रैन अरु चंद।
जीवन से यदि मोह हो , घर में रहिए बंद।
घर में रहिए बंद , रहेगा दूर संक्रमण।
जनसेवक संदेश , दे रहे बड़ा आक्रमण।
कह प्रताप अविराम , सुनें सब जनता दैनिक।
काम-काज से दूर , बनो न अभी सामाजिक।।०१।।
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रहें समाजिक दूरियाँ , घूमें नहीं विदेश।
नववर्ष के पूर्व में, जनसेवक संदेश।
जनसेवक संदेश, रहें सब घर में ही बंद।
रोग संक्रमण ह्रास , जग में हों रोगी चंद।
सुनिए सुधिजन बंधु , कहें जो बातें दैनिक।
जीवन से हो मोह , त्यागिए मेल समाजिक।
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आचार्य प्रताप
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