#दोहे-
जोगीरा सरारारा जोगीरा सरारारा
-------------------------------------------
नयन सरोवर सम प्रिये , रक्तिम अधर कपोल।
केश सुसज्जित देखकर , मन जाता है डोल।।०१।।
जोगीरा सारारारा जोगीरा सारारारा
-------
मृगनयनी मीन-आक्षी , मंजु मयूरी चाल।
रंगों के इस पर्व पर , रँग देंगें अब गाल ।।०२।।
जोगीरा सारारारा जोगीरा सारारारा
--------
आज #होलिका दह रही , #होली_का है पर्व।
हमें भक्त प्रहलाद की , भक्ति पर है गर्व।।०३।।
जोगीरा सरारारा जोगीरा सरारारा
--------
राजनीति किस ढंग की , करते चौकीदार ।
मोदी मोदी ही करें , जनता आज पुकार।।०४।।
जोगीरा सरारारा जोगीरा सरारारा
------
मन मर्जी लिखते सभी , अपने सकल विधान।
भाव - शिल्प के ज्ञान से , रहते ये अंजान।।०५।।
जोगिरा सराररा जोगीरा सरारारा
--------
#प्रताप
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
आपकी टिप्पणी से आपकी पसंद के अनुसार सामग्री प्रस्तुत करने में हमें सहयता मिलेगी। टिप्पणी में रचना के कथ्य, भाषा ,टंकण पर भी विचार व्यक्त कर सकते हैं