वसंतोत्सव

दोहे
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आज बताता हूं तुम्हें, ऋतु वसंत की बात।
बच्चे-बूढ़े भी करें, राग-द्वेष की बात।।०१।।
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बातों-बातों में कही, प्रियवर ने इक-बात।
प्रियवर तुमसे प्रेम है, प्रियवर ने दी मात।।०२।।
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फूल-फूल ही दिख रहे,फूला आज बबूल।
सुमन महकते बाग में, भौंरे ढूँढें फूल।।०३।।
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जैसे पतझड़ बाद ही, आए सदा वसंत।
वैसे ही सुख प्राप्त हो, और दुखों का अंत।।०४।।
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आचार्य प्रताप
Acharypratap

Achary Pratap

समालोचक , संपादक तथा पत्रकार प्रबंध निदेशक अक्षरवाणी साप्ताहिक संस्कृत समाचार पत्र

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