दोहे
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०१
सुंदर मुखड़े से मिली, आज नयी पहचान।
सुंदरता तो क्षणिक हो, वाणी सब कुछ जान।।०१।।
०२
बड़ी बात मत कीजिए, बड़े कीजिए कर्म।
कर्मों से बढ़कर नहीं, जग में कोई धर्म।।०२।।
०३
आलोचक बिन जानिए, पूर्ण नहीं हो ज्ञान।
बुरा कभी न मानिए,यही सदा दो ध्यान।।०३।।
आचार्य प्रताप
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