गुरुवार, 13 फ़रवरी 2020

आज का दुःख

दो पंक्तियाँ
----------------

क्या कहूँ कैसे कहूँ  मनमीत मेरे
और कितने दुःख हृदय में मैं छुपाऊँ।
सोचता हूँ राज़ सारे खोल कर अब
आज क्रंदन सुर सभी को मैं सुनाऊँ।।

आचार्य प्रताप

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

आपकी टिप्पणी से आपकी पसंद के अनुसार सामग्री प्रस्तुत करने में हमें सहयता मिलेगी। टिप्पणी में रचना के कथ्य, भाषा ,टंकण पर भी विचार व्यक्त कर सकते हैं