मुख्यपृष्ठछंद आज का दुःख Achary Pratap -11:02 pm 0 दो पंक्तियाँ----------------क्या कहूँ कैसे कहूँ मनमीत मेरेऔर कितने दुःख हृदय में मैं छुपाऊँ।सोचता हूँ राज़ सारे खोल कर अबआज क्रंदन सुर सभी को मैं सुनाऊँ।।आचार्य प्रताप Tags: छंद दोहा हिंदी साहित्य achary Pratap Acharypratap Facebook Twitter