प्रशांत मिश्र 'मन' जी की पुस्तक 'एक राधा गीत गाती है'

गीत वह सृजन है जो मनुष्य के भीतर स्फुरित होने वाली भावनाओं और संवेदनाओं को सुंदर, संगीतमय और लयबद्ध शब्दों में अभिव्यक्त करता है। यह मानव मन की गहन अनुभूतियों का साक्षात्कार है। गीत में शब्दों का चुनाव, छंद-लय का सुंदर समन्वय और भावानुकूल स्वर का प्रयोग होता है, जिससे वह श्रोता के हृदय को छू लेता है।
गीतकार की भूमिका महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि वह अपने जीवन के अनुभवों को शब्दों में ढालकर पाठकों और श्रोताओं तक पहुंचाता है। वह अपनी समृद्ध कल्पना, संवेदनशीलता और भाषा-कौशल का प्रयोग कर, मानव मन की गहराइयों में छिपी भावनाओं को उद्घाटित करता है। उसकी कृति में जीवन की सच्चाइयां, मानवीय मूल्य और सामाजिक संवेदनाएं प्रतिबिंबित होती हैं।

प्रशांत मिश्र 'मन' जी की 'एक राधा गीत गाती है' पुस्तक में संग्रहित गीत इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हैं। उनके गीत प्रेम की विभिन्न अवस्थाओं को संगीतमय शब्दों में उभारकर पाठकों के हृदय को स्पर्श करते हैं। यह कवि की क्षमता का प्रमाण है कि वह अपनी कृति के माध्यम से जीवन की सच्चाइयों को सुंदरतापूर्वक प्रस्तुत कर पाते हैं।

'एक राधा गीत गाती है' में संग्रहित गीतों को पढ़ने के बाद, मेरे मन में कुछ पुराने और नए कवियों की विरह-भावना से संबंधित कृतियों की याद ताजा हो गई है।

पुराने कवियों में मीरा, सूरदास, कबीर और तुलसीदास जैसे नाम मुझे याद आए। इन कवियों ने अपने गीतों में वियोग की पीड़ा और प्रेम के वेदनापूर्ण पक्षों को सशक्त ढंग से अभिव्यक्त किया था। मीरा के 'चूड़ी न टूटे, माथा न फूटे' जैसे विरहिणी के दर्द को प्रकट करने वाले पद, सूरदास के 'मोरी बरबस धीरज न धरिये' जैसे वियोग के दुःख को चित्रित करने वाले पद, तथा कबीर के 'हम से रहा न जाय' जैसे विछोह की पीड़ा व्यक्त करने वाले दोहे इसके उदाहरण हैं।

वहीं, नए कवियों में मैथिलीशरण गुप्त की 'चलो, मानव-मन, चलो' जैसे वियोग-संतप्त मन की आकुलता को प्रकट करने वाले कविता-खंड, और सुमित्रानंदन पंत के 'वह कौन, तिहारी आंखों मे' जैसे प्रेम-वियोग की व्यथा को चित्रित करने वाले गीतों की याद आई। इन कवियों ने भी अपने-अपने शैली और संवेदना में वियोग की पीड़ा को अभिव्यक्त किया है।

प्रशांत मिश्र 'मन' जी के गीतों में इन्हीं पुराने और नए कवियों की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए, प्रेम के विभिन्न रूपों और वियोग की व्यथा को सशक्त और स्मरणीय ढंग से चित्रित किया गया है। उनकी कृतियों में हिंदी साहित्य की समृद्ध परंपरा और सौंदर्यशीलता की झलक मिलती है।

प्रशांत मिश्र 'मन' जी द्वारा लिखित 'एक राधा गीत गाती है' पुस्तक में संग्रहित 51 गीतों का अध्ययन करने का अवसर मिला, जिसने मेरे मन को स्पर्श किया और मेरे भीतर गहरी छाप छोड़ी है। इन गीतों में कवि ने प्रेम की विभिन्न अवस्थाओं और अनुभूतियों को सशक्त ढंग से अभिव्यक्त किया है। उनकी कल्पना समृद्ध और भाषा सरल, सुंदर तथा प्रवाही है, जो पाठकों को अपनी ओर आकर्षित करती है।

कवि ने अपने जीवन के अनुभवों से प्रेरित होकर इन गीतों का सृजन किया है। उनकी कविताओं में प्रेम, वियोग, आशा और संघर्ष जैसे मानवीय भावों की व्यापक पैनोरमा देखने को मिलती है। कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि कवि ने अपने दिल की बात को शब्दों में ढाल दिया है।

'एक राधा गीत गाती है' में संग्रहित गीतों के शीर्षकों से ही उनकी प्रेम-भावना की गहराई का अनुमान लगाया जा सकता है। 'प्रेमिल गीत', 'तारों के अट्टहास', 'अंतर तुम चले गये', 'दूरी बहुत खता करती है', 'अविवाहित हैं गीत हमारे', 'प्रणय की नियति', 'दिवाली सा प्रेम हमारा' जैसे शीर्षक प्रेम की विविध अनुभूतियों को प्रकट करते हैं। वहीं 'एक राधा गीत गाती है', 'मेरे भीतर विचर रही हो', 'मेरे मधुमाशी जीवन को', 'हमसे से अब, डर लगता है' आदि शीर्षक भावनात्मक संघर्ष और सुख-दुख की अभिव्यक्ति करते हैं।

प्रशांत मिश्र 'मन' जी की लेखन शैली में सरलता, सुंदरता और प्रवाहिता है। उनकी कविताओं में अलंकारिक छंद और रूपक का सुंदर समन्वय देखने को मिलता है। उदाहरण के लिए, 'दूरी बहुत खता करती है', 'मेरे मधुमाशी जीवन को', 'मन हमारा फूट कर रोया', 'हमसे से अब, डर लगता है' आदि पंक्तियाँ कवि की कल्पना समृद्धि और अभिव्यक्ति कौशल का परिचय देती हैं।

कवि ने अपने गीतों में प्रेम की विभिन्न अवस्थाओं को अत्यंत सटीक ढंग से चित्रित किया है। वह प्रेम के सुख और दुख, आशा और निराशा, वासना और वेदना को समान रूप से अभिव्यक्त करते हैं। उनके गीतों में प्रेम की वेदना और वियोग की पीड़ा को भी संतुलित रूप से प्रस्तुत किया गया है। प्रेम के विषम परिस्थितियों में भी कवि अपने भावों को सह्य और सशक्त रूप देने में सफल होते हैं।

कुछ गीतों में कवि ने प्रेम के साथ-साथ जीवन के अन्य पहलुओं को भी उभारा है। 'इस दुनिया मे हम जैसों की', 'मेरे मन के कृतदावन', 'संतुलन है यहाँ सुख व दुख का अहो', 'यह काले सन्नाटे- सा है', 'जीवन की परिणति' जैसे शीर्षक इसका उदाहरण हैं। ये गीत मानवीय संवेदनाओं को व्यक्त करते हैं और जीवन की सच्चाइयों को उजागर करते हैं।

प्रशांत मिश्र 'मन' जी के गीतों में शब्दों का सुंदर चयन, चित्रात्मक भाषा और लयात्मक प्रवाह है, जो उन्हें हिंदी साहित्य की अमूल्य धरोहर बनाते हैं। उनकी कविताएँ पाठकों के मन को छूकर उन्हें प्रेम की गहराइयों में डुबो देती हैं। उनके गीतों में समृद्ध कल्पना और प्रभावशाली अभिव्यक्ति देखने को मिलती है।

समग्र रूप से, 'एक राधा गीत गाती है' पुस्तक में संग्रहित गीत पाठकों को प्रेम की सुख-दुख की अनुभूतियों से परिचित कराते हैं। कवि ने अपने गीतों में प्रेम की विविधता को उभारा है और उसके विभिन्न पहलुओं को सुंदर ढंग से अभिव्यक्त किया है। उनकी कविताएँ पाठकों के मन को छू जाती हैं और उन्हें प्रेम के रहस्यों में लीन कर देती हैं। प्रशांत मिश्र 'मन' जी के गीत हृदय को स्पर्श करने वाले हैं और उन्हें हिंदी साहित्य की महत्वपूर्ण कृतियों में से एक माना जा सकता है।

'एक राधा गीत गाती है' पुस्तक में संग्रहित गीत हिंदी साहित्य की एक अमूल्य धरोहर हैं। कवि ने अपनी समृद्ध कल्पना, सरल एवं संवेदनशील भाषा और लयात्मक प्रवाह के माध्यम से प्रेम की विविध अनुभूतियों को अभिव्यक्त किया है। उनके गीत हृदय को छूने वाले हैं और पाठकों को प्रेम की गहराइयों में लीन कर देते हैं। कवि की कला-कृति में हिंदी साहित्य की समृद्धि और भाषा की सौंदर्यशीलता का दर्शन होता है। इन गीतों में प्रेम के साथ-साथ जीवन के अन्य पहलुओं को भी सशक्त ढंग से चित्रित किया गया है।


Achary Pratap

समालोचक , संपादक तथा पत्रकार प्रबंध निदेशक अक्षरवाणी साप्ताहिक संस्कृत समाचार पत्र

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