अक्षरवाणी काव्य-मंजरी साहित्यिक मंच के माध्यम से युवा दिवस के शुभ अवसर पर आयोजित की गयी जीवंत युवा काव्य गोष्ठी इस कार्यक्रम विशिष्ट अतिथि महादेवी वर्मा जी के भतीजे आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ में कुल बारह सदस्यों ने प्रतिभाग किया जिसमे सभी रचनाकार नवयुवा ही रहे, अक्षरवाणी ने अपने सभी नव युवा रचनाकारों को यह अवसर उनके लेखन में उत्साहवर्धन तथा काव्य-गोष्ठियों में प्रतिभागिता दिलाने के उद्द्येश्य ही आयोजित किया जिसका प्रसारण अक्षरवाणी- काव्य-मंजरी नमक यूट्यूब चैनेल के माध्यम से किया गया सभी रचनाकारों को चैनेल के स्टूडियों पर आमंत्रित किया गय तथा सभी से काव्य-पाठ कराया गया – इस कार्यक्रम में उज्जैयिनी से शास्त्री रेखा सिंह जयशूर जी ने मगलाचरणम से शुभारम्भ किया तत्पश्चात जयपुर से सलोनी क्षितिज़ जी ने वाणी वंदना करते हुए कार्यक्रम का सत्र परिचय से गुजरते हुए अनुजा मानसी शर्मा दिल्ली से आर्यावत शीर्षक पर स्वरचित कविता सुनायी आश्चर्य होगा किन्तु सत्य है यह बालिका महज़ दसवीं कक्षा की छात्रा है , आकाश मिश्र ‘अनुचर’ जी कानपूर से एक जय जवान शीर्षक तथा एक प्रभु श्रीराम शीर्षक पर कविता सुनाई , प्रविक्षा दुबे ‘सागरिका’ जी कन्नौज उत्तरप्रदेश ने एक रचना स्वामी जी को आधार मान कर ‘देश के नए कर्णधार बनो‘ सुनायी , फिर बाबा साहेब लांडगे ‘सारथी’ जी निजामाबाद ने झाँसी की रानी आधारित कविता सुनायी , ऋचा सिंह सोमवंशी जी ने स्वामी जी को आधार मानकर अद्भुत कविता सुनायी, तत्पश्चात हैदराबाद विश्वविद्यालय के शोध छात्र चिराग राजा जी ने ‘भारत माता’ आधारित अद्वितीय कविता सुनायी ,कवि अगम मिश्र जी ने भय से मुक्त करने वाली सुन्दर कविता चकमक-ढ़ोल सुनाई इन्स्टाग्राम की बहुचर्चित रचनाकारा आँचल गुप्ता जी ने युवा शक्ति को साथ बताते हुए युगपरिवर्तक विवेकानंद बनने वाली अद्भुत और अद्वतीय रचना सुनायी तत्पश्चात आचार्य सलिल जी ने आपने अध्यक्षीय उद्बोधन में स्वामी विवेकानंद जी तथा महर्षी महेश योगी जी को केंद्र मनाकर गुरु शिष्य की परंपरा को बताया आपके शुभाशिषात्मक आशीर्वचनों से अभिसिंचित किया तथा सभी की रचनाओं की भूरिशः प्रंशसा की|
कार्यक्रम के अंत में एक दोहा और एक कुंडलिया छंद में सभी अतिथियों को समेटते हुए आचार्य प्रताप जी ने कल्याण मंत्र तथा समापन के पूर्व कहा –
दोहा
स्वामी जी के नाम पर , नवल युवा हैं साथ।
साहित्यिक हम सारथी , पकड़े रखना हाथ।।
कुंडलिया छंद
काव्य-मंजरी ने किया , अक्षरवाणी पाठ।
रेखा ने मंगलचरण , क्षितिज वंदना ठाठ।।
क्षितिज वंदना ठाठ, मानसी ने दी शिक्षा।
जलता रहे चिराग , अगम से कहे प्रवीक्षा।
काव्य-जगत आकाश , ऋचाओं के अनुच्चरी।
आँचल सहित प्रताप , सलिल सह काव्य-मंजरी।।
-आचार्य प्रताप
कार्यक्रम का संचालन अक्षरवाणी के प्रबंध निदेशक स्वयं आचार्य प्रताप जी ने निदेशक तथा प्रमुख संपादक हेरम्ब कमल ब्रम्हचारी जी के मार्गदर्शन पर किया
तिथि - १४-०१-२०२१
समय - १५ : ४६ :००
आदेशानुसार
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