शुक्रवार, 18 दिसंबर 2020

साहित्य शब्द

कुछ साहित्य शब्द को लेकर दोहे

लाख मना कर दो उन्हें ,माने ना आदेश।
सुबह शाम क्यों भेजते ,शुभ मुहूर्त संदेश।।०१।।
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साहित्यिक है यह पटल , चले बात साहित्य।
साहित्यिक हर वस्तु से , बढ़ जाता लालित्य।।०२।।
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क्या-कैसे-क्यों कब कहें , समझ न पाते लोग।
साहित्यक हर पटल का , करतें हैं उपभोग।।०३।।
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मैं का कर के त्याग यदि , हम को  समझें लोग।
निश्चित ही पाते शिखर , पाते हैं जग भोग।।०४।।
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मैं-मैं करके मर गए , जग कितने संत।
हम की जिसने ली शरण , बैठे बने महंत।।०५।।
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आचार्य प्रताप

13 टिप्‍पणियां:

  1. मैं का कर के त्याग यदि , हम को समझें लोग।
    निश्चित ही पाते शिखर , पाते हैं जग भोग।।
    अत्यन्त सुन्दर सीख ।

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (20-12-2020) को   "जीवन का अनमोल उपहार"  (चर्चा अंक- 3921)    पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    --   
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
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    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
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    1. |हरिः ॐ तत्सत्|
      बहुत-बहुत आभार आपका इस प्रेम और स्नेह हेतु
      ||सादर नमन ||

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  3. सुंदर शब्दों के साथ अर्थ पूर्ण दोहे..

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    उत्तर
    1. |हरिः ॐ तत्सत्|
      बहुत-बहुत आभार आपका इस स्नेहपूर्ण सराहना हेतु
      ||सादर नमन ||

      हटाएं
  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति । शुभ कामनाएं ।

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  5. अत‍ि सुंदर दोहा प्रस्तुत‍ि आचार्य जी,

    हम की जिसने ली शरण , बैठे बने महंत...अत्यंत महत्वपूर्ण हैं ये शब्द

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    उत्तर
    1. |हरिः ॐ तत्सत्|
      बहुत-बहुत आभार आपका इस स्नेहपूर्ण सराहना हेतु
      ||सादर नमन ||

      हटाएं
  6. उत्तर
    1. |हरिः ॐ तत्सत्|
      बहुत-बहुत आभार आपका इस स्नेहपूर्ण सराहना हेतु
      ||सादर नमन ||

      हटाएं
  7. उत्तर
    1. |हरिः ॐ तत्सत्|
      बहुत-बहुत आभार आपका इस स्नेहपूर्ण सराहना हेतु
      ||सादर नमन ||

      हटाएं

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