प्रश्न - गीतिका क्या है?
गीतिका-विधा को निम्न प्रकार परिभाषित किया जा सकता है-
‘गीतिका’ हिन्दी भाषा-व्याकरण पर पल्लवित एक विशिष्ट काव्य विधा है जिसमें मुख्यतः हिन्दी छंदों पर आधारित दो-दो लयात्मक पंक्तियों के स्वतंत्र अभिव्यक्ति एवं विशेष कहन वाले पूर्वापर निरपेक्ष पाँच या अधिक युग्म होते हैं जिनमें से प्रथम युग्म अर्थात मुखड़ा की दोनों पंक्तियाँ तुकान्त और अन्य युग्मों की पहली पंक्ति अतुकांत तथा दूसरी पंक्ति समतुकान्त होती है।
इस प्रकार हिन्दी भाषा-व्याकरण, आधार छन्द, विशिष्ट कहन, मुखड़ा, युग्म और तुकान्तता – यह गीतिका के मुख्य छः घटक हैं। हिन्दी भाषा-व्याकरण और आधार छंद - ये दो ऐसे घटक है जो गीतिका को उर्दू ग़ज़ल से भिन्न एक अलग पहचान देते हैं। हिन्दी भाषा-व्याकरण के आग्रह से गीतिका में परिष्कृत अथवा व्यावहारिक हिन्दी भाषा ही मान्य है जिसमें उर्दू, अँग्रेजी आदि इतर भाषाओं के लोक-प्रचलित शब्दों का प्रयोग यथावश्यक संप्रेषणीयता को बढ़ाने के लिए दाल में नमक के बराबर किया जा सकता है किन्तु उन शब्दों पर व्याकरण हिन्दी का ही लागू होगा। आधार छंद के आग्रह से गीतिका की लय का आधार भारतीय सनातनी या लौकिक छंद हैं जो मात्रिक या वर्णिक, मापनीयुक्त या मापनीमुक्त हो सकते हैं।
आधार-छंद सोदाहरण इसप्रकार हैं -
मापनीयुक्त छंद :
(1) हरिगीतिका : 28 मात्रा, मापनी- गालगागा गालगागा गालगागा गालगागा
उदाहरण-
(2) गीतिका : 26 मात्रा, मापनी- गालगागा गालगागा गालगागा गालगा
उदाहरण-
(3) विधाता : 28 मात्रा, मापनी- लगागागा लगागागा लगागागा लगागागा
उदाहरण-
(4) रजनी : 23 मात्रा, मापनी- गालगागा गालगागा गालगागा गा
उदाहरण-
(5) वाचिक भुजंगप्रयात : 20 मात्रा, मापनी- लगागा लगागा लगागा लगागा
उदाहरण-
(6) सिंधु : 19 मात्रा, मापनी- लगागागा लगागागा लगागा
उदाहरण-
(7) वाचिक स्रग्विणी : 20 मात्रा, मापनी- गालगा गालगा गालगा गालगा
उदाहरण-
(8) पारिजात : 17 मात्रा, मापनी- गालगागा लगालगा गागा
उदाहरण-
(9) दिग्वधू : 22 मात्रा, मापनी- गागाल गालगागा गागाल गालगा
उदाहरण-
(10) आनंदवर्धक : 19 मात्रा, मापनी– गालगागा गालगागा गालगा
उदाहरण-
(11) वाचिक महालक्ष्मी : 15 मात्रा, मापनी- गालगा गालगा गालगा
उदाहरण-
(12) सुमेरु : 19 मात्रा, मापनी- लगागागा लगागागा लगागा
उदाहरण-
(13) सार्द्धमनोरम : 21 मात्रा, मापनी- गालगागा गालगागा गालगागा
उदाहरण-
(14) रूपमाला : 24 मात्रा, मापनी- गालगागा गालगागा, गालगागा गाल
उदाहरण-
(15) वाचिक बाला : 17 मात्रा, मापनी- गालगा गालगा गालगा गा
उदाहरण-
मापनीमुक्त छंद:
(16) सरसी : 27 मात्रा, 16-11 पर यति, अंत में गाल
उदाहरण-
(17) द्विचौपाई : 32 मात्रा, 16-16 पर यति, प्रत्येक पद के अंत में गाल
उदाहरण-
(18) लावणी : 30 मात्रा, 16-14 पर यति, अंत वाचिक गा
उदाहरण-
(19) मंगलवत्थू : 22 मात्रा, 11-11 पर यति, त्रिकल-यति-त्रिकल
उदाहरण-
(20) वीर : 31 मात्रा, 16-15 पर यति, अन्त में गाल
उदाहरण-
(21) त्रिलोकी : 21 मात्रा, 11-10 पर यति, त्रिकल-यति-त्रिकल, अन्त में लगा
उदाहरण-
(22) हंसगति : 20 मात्रा, 11-9 पर यति
उदाहरण-
(23) हंसिनी : 18 मात्रा, 11-7 पर यति
उदाहरण-
(24) अहीर छंद : 11 मात्रा, अंत में गाल
उदाहरण-
(25) विष्णुपद : 26 मात्रा, 16-10 पर यति, अंत में वाचिक गा
उदाहरण-
(26) तमाल : 19 मात्रा, अंत में गाल
उदाहरण-
(27) रोला : 24 मात्रा, 11-13 पर यति, त्रिकल-यति-त्रिकल, अंत में वाचिक गागा
उदाहरण-
(28) प्रदीप : 29 मात्रा, 16-13 पर यति, अंत वाचिक लगा
उदाहरण-
(29) जयकरी : 15 मात्रा, अन्त मैं गाल
उदाहरण-
(30) राधेश्यामी : 32 मात्रा, 16-16 पर यति, आदि में द्विकल, इस द्विकल के बाद एक त्रिकल आये तो उसके बाद दूसरा त्रिकल अनिवार्य
उदाहरण-
(31) सार : 28 मात्रा, 16-12 पर यति, अन्त वाचिक गागा
उदाहरण-
(32) दोहा : 13,11,13,11 मात्रा के चार चरण, विषम चरणों के अंत में लगा, सम चरणों के अन्त में गाल, दोहा के सम-विषम चरणों के योग से 24 मात्रा का गीतिका का एक पद बनता है।
उदाहरण-
(33) चौपाई : 16 मात्रा, अन्त में गाल वर्जित
उदाहरण-
(34) मानव : 14 मात्रा, सभी सम कल
उदाहरण-
(35) शृंगार : 16 मात्रा, अंत में गाल, आदि में त्रिकल-द्विकल।
उदाहरण-
छंदशास्त्री तथा विद्वान ओम नीरव जी के अनुसार
-आचार्य प्रताप
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