शुक्रवार, 7 फ़रवरी 2020

चतुर्थ चरण - शब्द - नयन - साहित्य संगम दोहा विशेष समीक्षात्मक - (कार्यशाला -आचार्य प्रातप)


।।ॐ।।
कार्यशाला
चतुर्थ चरण - शब्द - नयन
आदरणीया ऋतू गोयल जी

भरी सभा कैसे कहे,आय तुम्हारी याद।
नयनों से कर लो जरा,नयनों का संवाद।।
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सर्वप्रथम आपको इस कार्यक्रम में प्रतिभाग करने के लिए बधाई और दोहा लिखने के लिए भी हार्दिक बधाई  अपने प्रथम चरण में ही वर्तनी दोष किया कहें किन्तु त्वरित सृजन में ये हम स्वीकारा कर सकते हैं पर द्वितीय चरण में आय तुम्हारी याद।  के लिए आई तेरी याद।  कर सकतीं थी।  शेष आपका सृजन सराहनीय है।  और पुनः बधाई।
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*आदरणीय मंत्र जी*

नयनों से हैरान हों, श्रीयुत् जी संजीत ।
इनके भैया लिख रहे, रचनाएँ दिलजीत ।।

इस सृजन के लिए निश्चय ही  आप बधाई के योग है और आपकी  लेखनी की धारमाँ भगवती की कृपा से और बढ़ती रहे।
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आदरणीय  प्रचण्ड जी

नयन मिले जब आपसे ,
तबसे हुए अधीर !
पल पल ढूँढूँ प्रियतमा ,
हृदय हुआ गंभीर !!

बेहतरीन सृजन के लिए बधाई आपको बहुत ही उम्दा दोहा है। त्वरित सृजन के लिए कुछ छूट देने का देश मिला है जिसके कारण विराम चिह्न पर आपको यहाँ छूट दी जाती है।
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आदरणीय बिजेंद्र सिंह जी
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नयन निरखि रघुवीर सिय,अतिशय पुलकित गात।                                                 
भंजहिं यह शिव का धनुष,  तब बन जाए बात ।।
नीचे ही भाव पक्ष ठीक-ठाक है किन्तु  आप तुलसी के ज़माने के कवी नहीं है आधुनिक युग में जी रहे है अतः देशज शब्द में लिखने की छूट मैं नहीं दे सकता हूँ।
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आदरणीय तामेश्वर शुक्ल प्रहरीजी

नयन कटारी मारकर, गये कौन -सी राह|
खड़ी हुई हूँ मैं यहाँ, पिया मिलन की चाह||

बेहतरीन सृजन के लिए बधाई  त्वरित सृजन में कुछ छूट के कारण प्रश्नचिह्न के लिए छूट प्रदान  की  गयी शेष उत्तम सृजन।
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आदरणीय किशन  जी
1-आओ आज नयन कहे, नयनो की बात।
मुझसे मिल लो तुम अभी, फिर तो होगी रात।।

प्रथम चरण तो मात्रा के हिसाब से ठीक किन्तु द्वितीय चरण मात्रा भर काम और पक्ष भी कुछ खास नहीं तृतीय चतुर्थ चरण की भी भरी दुर्दशा , अर्थात मिलान से पहले रत नहीं हो सकती समय किसी के रोकने से नहीं रुकता।

2-दोनों नयनो में नयन, उसने डाले आज।
इसीलिए बनते गए, मेरे सारे काज।।

बहुत सुन्दर भाव के लिए बधाई  जब आज का प्रयोग हुआ तो इसीलिए क्यों ?
तृतीय चरण में  ध्यान देने की आवश्यकता।

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आदरणीय सी पी सिंह जी

नयन नशीले मद भरे, होठ रसीले लाल !
 सुक सी उन्नत नासिका, सेव सरीखे गाल !!
बहुत सुन्दर सृजन बधाई त्वरित सृजन में छूट होने के कारण विराम चिह्न के लिए छूट प्रदान की जाती है।
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आदरणीय आदेश पंकज जी
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नयन तरसते हैं बहुत ,दर्शन दो भगवान ।
अब तो आकर हे प्रभू कर मेरा कल्यान ।।

प्रथम  दो  चरण बहुत ही सुन्दर किन्तु तृतीय चरण में प्रभु की प्रभू लिखना उचित नहीं।  और कल्याण को कल्यान लिखना भी तुक नहीं होता हाँ ये बात बात अलग है कि तुलसी कबीर जायसी और अन्य कवियों ने लिखा है किन्तु वो भक्तिकाल था अब अत्याधुनिक काल है।

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आदरणीय मनोज कुमार  'मनु' जी
नयनों से नयन मिले , बन गई बिगड़ी बात ।
उलझ गए यदि नयन तो , जागो सारी रात ।।
मनु
प्रथम चरण में ही  मात्रा भर काम होने के  कारण ले भंग शेष भाव पक्ष उत्तम चतुर्थ चरण में *जागें सारी रात* भाव पक्ष मजबूत करता है।
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आदरणीय दीपाली जी
नयन कटीले श्याम के , देखें राधा आज |
कितने सुन्दर दिख रहे , मुरलीधर पर नाज ||
 दीपाली
 बहुत ही सुन्दर सृजन किया है बधाई
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आदरणीय कविराज तरुण जी
नयन नयन से जा मिले , दो से बनके चारि ।
महक उठा मन बाग ये ,नयन भये फुलवारि ।।
सृजन का भाव पक्ष मजबूत है किन्तु शिल्प में थोड़ी सी चूक हो गयी चारि -  और फुलवारि
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