हैदराबाद के प्रवासी तथा सतना मध्य-प्रदेश के मूल निवासी कवि, लेखक और साहित्यकार आचार्य प्रताप का प्रथम गीत संग्रह 'स्वरात्मिका - गीत मंजरी' प्रकाशित हो चुका है। यह संग्रह अब अमेज़न और फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है, जबकि इसकी ई-कॉपी किंडल बुक स्टोर और गूगल बुक स्टोर पर भी खरीदी जा सकती है।
इस संग्रह में आचार्य प्रताप के लगभग सभी प्रतिनिधि गीत संकलित किए गए हैं, जो उनके साहित्यिक जीवन के विविध आयामों को दर्शाते हैं। 'स्वरात्मिका - गीत मंजरी' हिंदी साहित्य जगत में एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित होने की संभावना है।
संस्कृत की प्रख्यात अध्येता शास्त्री रेखा सिंह जी ने इस संग्रह की भूमिका लिखी है, जिसमें उन्होंने आचार्य प्रताप के गीतों की गहराई और उनके साहित्यिक योगदान पर प्रकाश डाला है। उनकी समीक्षात्मक दृष्टि ने इस कृति को एक नया आयाम प्रदान किया है।
प्रकाशक बुक क्लिनिक प्रकाशन के संचालक हितेश सिंह राजपूत का कहना है, "आचार्य प्रताप जी के गीत पाठकों को गहराई से प्रभावित करते हैं। उनकी भाषा सरल होते हुए भी भावपूर्ण है, जो पाठकों के हृदय को छू लेती है। इस संग्रह के माध्यम से हम उनकी रचनाओं को और अधिक पाठकों तक पहुंचाना चाहते हैं।"
आचार्य प्रताप ने अपने पहले संग्रह से ही हिंदी साहित्य में अपनी विशेष पहचान बनाई । उनकी भाषा-शैली, विषय-वस्तु और अभिव्यक्ति की विशिष्टता ने उन्हें समकालीन कवियों से अलग स्थान दे रही है।
'स्वरात्मिका - गीत मंजरी' में समाहित गीत जीवन के विभिन्न पहलुओं को उजागर करते हैं - प्रेम, प्रकृति, राष्ट्रीयता, आध्यात्मिकता, और सामाजिक चेतना। संग्रह की विशेषता यह है कि इसमें परंपरागत और आधुनिक विचारधाराओं का सुंदर समन्वय देखने को मिलता है।
वर्तमान में इस पुस्तक की एडवांस बुकिंग चालू है, जिसके प्रति पाठकों में उत्साह देखा जा रहा है। साहित्य प्रेमियों द्वारा पुस्तक के आरंभिक प्रतिक्रियाएँ अत्यंत सकारात्मक रही हैं।
साहित्य आलोचक डॉ. ओम निश्चल (दिल्ली) के अनुसार, "आचार्य प्रताप जी के गीतों में जीवन के विविध रंगों का समावेश है। इस संग्रह में वे भारतीय संस्कृति, आधुनिक जीवन की चुनौतियों और मानवीय संवेदनाओं को बड़ी ही सहजता से प्रस्तुत करते हैं।"
पुस्तक का विमोचन समारोह शीघ्र आयोजित किया जाना प्रस्तावित है, जिसमें कई प्रतिष्ठित साहित्यकारों और संस्कृतिकर्मियों के उपस्थित होने की संभावना है।
एक साक्षात्कार में आचार्य प्रताप ने कहा, "मेरा प्रयास हमेशा से ही हिंदी भाषा और साहित्य की समृद्धि में योगदान देना रहा है। 'स्वरात्मिका - गीत मंजरी' में मैंने अपने जीवन के विविध अनुभवों को गीतों के माध्यम से व्यक्त किया है। मुझे आशा है कि यह संग्रह पाठकों को पसंद आएगा और उन्हें प्रेरित करेगा।"
कई विश्वविद्यालयों और साहित्यिक संस्थाओं ने विमोचन के पश्चात इस पुस्तक पर चर्चा सत्र आयोजित करने की योजना बनाई है, जिससे युवा पीढ़ी को भी हिंदी साहित्य से जुड़ने का अवसर मिलेगा।
'स्वरात्मिका - गीत मंजरी' का मूल्य मुद्रित प्रति के लिए 210 रुपये और ई-बुक के लिए 51 रुपये रखा गया है। पुस्तक की प्रस्तुति और साज-सज्जा भी उत्कृष्ट रही है, जिसके लिए प्रकाशक की सराहना की जा रही है।
यह संग्रह न केवल साहित्य प्रेमियों के लिए, बल्कि युवा पीढ़ी के लिए भी प्रेरणास्रोत साबित हो सकता है, जिन्हें हिंदी साहित्य की समृद्ध परंपरा से परिचित होने का अवसर मिलेगा।