मैं और मेरे विचार - 5
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प्रिय आत्मन्,
जब मैं नववर्ष के आगमन पर विचार करता हूँ, तो मन में यह प्रश्न उठता है कि क्या वास्तव में कैलेंडर का परिवर्तन ही जीवन में नवीनता ला सकता है? वस्तुतः, प्रत्येक क्षण नया है, प्रत्येक श्वास नई चेतना का संचार करती है। फिर भी मानव-मन को प्रतीकात्मक आरंभ की आवश्यकता होती है, और यही कारण है कि नववर्ष हमारे लिए विशेष महत्व रखता है।
संकल्प शब्द संस्कृत की 'सम्' और 'कल्प' धातुओं से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है - सम्यक् रूप से कल्पना करना या दृढ़ निश्चय करना। यह मात्र एक मानसिक प्रक्रिया नहीं, अपितु आत्मशक्ति का प्रकटीकरण है। जब कोई व्यक्ति सच्चे मन से संकल्प लेता है, तो वह अपनी चेतना को एक निश्चित दिशा में प्रवाहित करता है।
वर्तमान युग में मनुष्य भौतिक प्रगति की अंधी दौड़ में अपनी आध्यात्मिक चेतना को विस्मृत करता जा रहा है। ऐसे में संकल्प केवल व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति का माध्यम नहीं, बल्कि आत्मोन्नति का मार्ग बनना चाहिए। हमारे संकल्पों में निम्नलिखित गुणों का समावेश अनिवार्य है:
संकल्प का प्रथम चरण है - आत्मानुशासन। जब तक हम स्वयं को अनुशासित नहीं करेंगे, तब तक कोई भी संकल्प सफल नहीं हो सकता।
व्यक्तिगत उन्नति के साथ-साथ समाज-कल्याण का भाव भी आवश्यक है। वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना को साकार करने वाले संकल्प ही वास्तविक परिवर्तन ला सकते हैं।
हमारी सनातन परंपरा में प्रकृति को माता के समान माना गया है। आज के समय में प्रकृति-संरक्षण से जुड़े संकल्प अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
संकल्प तभी सार्थक होता है जब उसमें निम्नलिखित तत्व समाहित हों:
1. स्पष्टता: संकल्प में स्पष्टता होनी चाहिए। अस्पष्ट संकल्प भटकाव का कारण बनते हैं।
2. साधनीयता: संकल्प ऐसा हो जो साधा जा सके। अतिमहत्वाकांक्षी संकल्प निराशा को जन्म देते हैं।
3. सामयिकता: समय की मांग के अनुरूप संकल्प लेना चाहिए।
4. सातत्य: निरंतरता संकल्प की सफलता की कुंजी है।
जब एक व्यक्ति अपने संकल्पों को सिद्ध करता है, तो वह समाज के लिए प्रेरणास्रोत बन जाता है। यह एक सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह है जो समाज को उन्नति के पथ पर अग्रसर करता है।
अंततः, नववर्ष का संकल्प मात्र एक रीति-रिवाज नहीं है। यह आत्म-परिष्करण का अवसर है। हमें ऐसे संकल्प लेने चाहिए जो न केवल व्यक्तिगत उन्नति के लिए हों, अपितु समष्टि के कल्याण के लिए भी हों। स्मरण रखें, छोटे-छोटे संकल्प भी, जब श्रद्धा और निष्ठा से पूर्ण किए जाएं, तो महान परिवर्तन का कारण बन सकते हैं।
ॐ शांति:, शांति:, शांति:।
-- आचार्य प्रताप