गीतकार : स्व. माया अग्रवाल जी
प्रकाशक: श्वेतवर्णा प्रकाशन, नई दिल्ली
प्रकाशन वर्ष: 2020
मूल्य: ₹160
"वीथियाँ गीतों की" स्व. माया अग्रवाल जी द्वारा रचित एक गीत संग्रह है, जो 2020 में स्वेतवर्णा प्रकाशन, नई दिल्ली से प्रकाशित हुआ। यह संग्रह 80 गीत रचनाओं का एक समृद्ध संकलन है, जो विविध विषयों और भावों को समेटे हुए है।यह पुस्तक दो वर्ष पूर्व प्राप्त हुई थी जब आप इस जगत में हम सब के साथ थीं।
पुस्तक का कवर पृष्ठ एक सुंदर ग्राम्य परिदृश्य से सुसज्जित है, जो पाठक को तुरंत आकर्षित करता है। मुद्रण की गुणवत्ता उत्कृष्ट है, जिसमें स्पष्ट फ़ॉन्ट और उच्च गुणवत्ता वाला कागज़ प्रयुक्त किया गया है। पुस्तक का मूल्य ₹160 निर्धारित किया गया है, जो इसकी गुणवत्ता और सामग्री को देखते हुए उचित प्रतीत होता है।
संग्रह की शुरुआत माँ शारदा की वंदना से होती है, जो भारतीय साहित्य की परंपरा का पालन करती है। कवयित्री ने अपनी रचनाओं में मुख्यतः नारी-केंद्रित विषयों को उठाया है, जिनमें आधुनिक नारी के शक्तिशाली और स्वावलंबी स्वरूप को प्रस्तुत किया गया है।
रचनाओं में विविधता दिखाई देती है। "अमर सुहागन" जैसी रचनाएँ देशभक्ति और वीरांगना की भावना को प्रदर्शित करती हैं, जबकि "आँचल की महिमा" और "आया करवा चौथ" जैसी रचनाएँ भारतीय संस्कृति और परंपराओं को दर्शाती हैं। "बेटियाँ क्या चाहती हैं" नारी सशक्तिकरण पर केंद्रित है।
समाज के विभिन्न वर्गों और मुद्दों को भी कवयित्री ने अपनी रचनाओं में स्थान दिया है। "गरीब की दुर्दशा" और "वतन रो रहा है" जैसी रचनाएँ सामाजिक चेतना जगाती हैं। "वात्सल्यसुधारस" और "घायल मन" पारिवारिक संबंधों की जटिलताओं को उजागर करती हैं।
स्व. माया अग्रवाल जी की भाषा सरल और प्रवाहमयी है, जो पाठक को तुरंत आकर्षित करती है। उनकी शैली में भावुकता और गंभीरता का अद्भुत संगम दिखाई देता है। उन्होंने जटिल विषयों को भी सहज और सरल शब्दों में प्रस्तुत किया है, जो उनकी कला का परिचायक है।
"वीथियाँ गीतों की" एक समृद्ध और विविधतापूर्ण गीत संग्रह है, जो पाठकों को भावनात्मक यात्रा पर ले जाता है। यह संग्रह न केवल साहित्यिक मूल्य रखता है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य से भी महत्वपूर्ण है। माया अग्रवाल ने अपनी रचनाओं के माध्यम से समकालीन समाज के विभिन्न पहलुओं को छुआ है, जिससे यह पुस्तक विभिन्न आयु वर्ग और रुचि के पाठकों के लिए आकर्षक बन जाती है।
"वीथियाँ गीतों की" हिंदी साहित्य में एक महत्वपूर्ण योगदान है। यह संग्रह न केवल काव्य प्रेमियों के लिए, बल्कि समाज और संस्कृति के अध्येताओं के लिए भी एक मूल्यवान संसाधन है। माया अग्रवाल जी की यह कृति उनकी गहन अनुभूति और सूक्ष्म अवलोकन क्षमता का प्रमाण है, जो पाठकों को गहराई से प्रभावित करती है और चिंतन के लिए प्रेरित करती है।
आचार्य प्रताप
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