कल शाम एक मित्र ने कहा कि आचार्यवर आप इतना कुच्छ लिखते है और आपने ब्लॉग में डालते है लोग इससे कॉपी करते हैं, और अपने नाम से शेयर करते हैं ; मैंने उनसे दो बाते कही
1.मित्र यहाँ का सारा कंटेंट पुस्तक का रूप ले चुका है
और
2.यदि कोई कॉपी करके अपने नाम से शेयर करता है तो प्रमाण तो हमारे पास ही उससे पूर्व का मिलेगा|
यदि सही कहा हो तो अवश्य बताएं