ऊर्जा प्राप्त करने का मंत्र 'गतिशीलता'

ऊर्जा प्राप्त करने का मंत्र  'गतिशीलता '














गति का अर्थ होता है चलायमान होना , यदि हमारा जीवन चलायमान होगा तो हमारे जीवन में सदैव सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होगा और जीवन में गति बनी रहेगी।
हमारे जीवन में गति का एक प्रभावी क्रियान्वयन होता है। प्राणी जो गतिमान होते हैं  सदैव उन्नति पथ पर अग्रसर होते हैं विपरीत परिस्थितियों में  गतिमान होते हुए कोई त्रुटि करते हैं तो  उससे एक आवश्यक पाठ मिलता है।
स्थिर जीवन में कुछ न कुछ दोष अवश्य होता है स्थिरता हमारे जीवन को अवसन्न, जड़ या निर्जीव बना देती हैं। इससे हमारे जीवन में होने वाली प्रगति पर विराम चिह्न लग जाते हैं इससे बचने के लिए आवश्यक है हमारे जीवन में गतिमानता का होना। गति हमारे जीवन को चैतन्यता प्रदान करती है जिससे हमारे जीवन में सजीवता आती है और हम स्वयं को सजीव चित्रित करते हैं। यही सजीवता जीवन का आधार बनाकर प्रखर गति प्रदान करती है।
गतिशील  होने से लाभ-
यदि हमारे विचारों में गतिशीलता हो तो हमारी  बौद्धिक क्षमता में श्रीवृद्धि होती है हमारा प्रभाव जग में बढ़ने लगाता है  संसार हमारी बुद्धिमत्ता की सराहना करती है।  चिंतन में गतिशीलता होने पर हम आध्यात्मिक वैभव प्राप्त करते हैं और मन के समस्त विकारों से मुक्त होने के के मार्ग में अग्रसर होने लगते हैं। गतिशीलता  वाणी में हो तो प्रखर वक्ता बनकर समाज में यश की प्राप्ति करते हैं। गतिशीलता सुरों में हो तो सुरसाधक बनकर कीर्तिमान होते हैं , गतिशीलता लेखन में हो तो जग में लेखक या साहित्यकार के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त करतें हैं। गतिशीलता समाज की सेवा में हो तो समाज हमें शीर्ष पर स्थापित कर लेता है  , क्षेत्र कोई भी हो यदि हम गतिशील हैं तो सदैव प्रमुख धारा में रहेंगे । यही गतिशीलता हमें सदैव हमारे आत्मबल को शीर्षस्थ बनाएँ रखता है जीवन में अवसन्नता का प्रमुख कारण है स्थिरता । इसी हेतु मन चिंता और विषाद में घिर जाता है , सोचने और विचारने  की शक्तियों में नकारात्मकता आने लगती है‌।
जग व्याप्त है कि नदियों में निर्मलता भी उनकी गतिशीलता  के कारण ही है जिसके कारण वो पूज्यनीय बनी हुई हैं यदि नदियों की गति शून्य हो जाती है तो नदियां दूषित हो जाएँगी जल प्रदूषित हो जाएगा और प्राणी अस्वस्थ होने लगेंगे , समान रूप से यदि वायु अपने गतिशीलता के गुण को त्याग दे तो कल्पना कीजिए क्या हो सकता है?
पृथ्वी भी गतिशील , शशि - भानु भी गतिशील है जिससे सृष्टि का संचालन हो रहा है तारे और आकाश गंगा की गतिशीलता को भी वैज्ञानिक प्रमाण दे चुकें है,  हम यह कहें कि सृष्टि का संचालन गतिशीलता नामक ऊर्जा से उर्जान्वित  होता है तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगी।

हमें गतिशीलता के महत्व हो समझना होगा।

जग में हो गतिशीलता , गति परिवर्तन मूल।
गतिमय जीवन हो सदा , बिन गति जीवन शूल।।


                            -आचार्य प्रताप





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Achary Pratap

समालोचक , संपादक तथा पत्रकार प्रबंध निदेशक अक्षरवाणी साप्ताहिक संस्कृत समाचार पत्र

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