प्रिय अभिभावक,
ग्रीष्म ऋतु की तपती दोपहरी में, जब सूरज की किरणें धरती को अपनी आग से तपा रही हैं, ठीक उसी समय हमारे बच्चों के जीवन में एक और अग्निपरीक्षा का समय आ गया है। परीक्षा का यह कठोर काल अब अपने अंतिम पड़ाव पर है, और शीघ्र ही परिणामों की घोषणा होने वाली है। मैं जानता हूं, आप सभी के मन में एक अजीब सी बेचैनी है, एक अनकही चिंता जो आपके चेहरे पर साफ झलक रही है।
लेकिन मेरे प्यारे मित्रों, क्या आपने कभी सोचा है कि ये परीक्षाएं हमारे बच्चों की वास्तविक क्षमता का सही आकलन कर पाती हैं? क्या ये कागज के टुकड़े उनके भविष्य का निर्धारण कर सकते हैं? नहीं, कदापि नहीं!
याद रखिए, जिन बच्चों ने इस परीक्षा में भाग लिया है, उनमें से कई ऐसे हैं जो कलम से नहीं, तूलिका से अपने विचारों को व्यक्त करते हैं। उनके लिए गणित के सूत्र नहीं, बल्कि रंगों का संगम महत्वपूर्ण है। क्या हम उन्हें गणित में कमजोर होने के कारण अयोग्य करार दे सकते हैं?
और फिर वे हैं जो अपने दिमाग में व्यापार के नए-नए विचार लेकर घूमते हैं। हो सकता है उन्हें शेक्सपियर की कविताएं याद न हों, या फिर मुगल साम्राज्य के इतिहास में उनकी रुचि न हो। लेकिन क्या आप जानते हैं? ये वही लोग हैं जो कल के भारत को नई दिशा देंगे, नए इतिहास का निर्माण करेंगे।
हमारे बीच ऐसे भी रत्न हैं जिनके लिए संगीत की स्वर लहरियां रसायन शास्त्र के सूत्रों से कहीं अधिक मायने रखती हैं। उनके लिए रागों की थाट रासायनिक प्रतिक्रियाओं से अधिक महत्वपूर्ण है। क्या हम उन्हें केवल इसलिए पीछे छोड़ देंगे क्योंकि वे प्रयोगशाला में उतने कुशल नहीं जितने वे संगीत के मंच पर हैं?
और अंत में, वे खिलाड़ी जिनके लिए खेल का मैदान ही उनका पाठशाला है। जिनकी शारीरिक क्षमता उनकी बौद्धिक क्षमता से कहीं आगे है। क्या हम उन्हें भौतिकी के नियमों को न समझ पाने के कारण कमतर आंक सकते हैं?
हे प्रिय अभिभावकों, यदि आपका संतान उच्च अंक प्राप्त करता है, तो निःसंदेह यह गर्व की बात है। परंतु यदि ऐसा नहीं होता, तो कृपया उसका मनोबल मत गिराइए। उसे समझाइए कि यह महज एक परीक्षा थी, जीवन की लंबी यात्रा में एक छोटा सा पड़ाव। वह इससे कहीं अधिक महान कार्यों के लिए इस धरती पर आया है।
याद रखिए, अंकों की संख्या से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है आपके बच्चे का आत्मविश्वास और खुशी। उसे प्यार दीजिए, उसे समझिए, उस पर विश्वास कीजिए। उसके बारे में निर्णय लेने की जल्दबाजी मत कीजिए।
यदि आप अपने बच्चे को प्रसन्नचित्त रख पाते हैं, तो समझ लीजिए कि आपने जीवन की सबसे बड़ी परीक्षा में उत्तीर्ण हो गए हैं। क्योंकि एक खुश व्यक्ति ही वास्तव में सफल होता है, चाहे वह जीवन में कुछ भी करे। और यदि वह दुखी है, तो कोई भी उपलब्धि उसे सच्चा सुख नहीं दे सकती।
इसलिए, अपने बच्चे को समझने का प्रयास कीजिए, उसके सपनों को पंख दीजिए। आप देखेंगे, वह अपनी प्रतिभा से पूरी दुनिया को जीत लेगा। याद रखिए, एक परीक्षा या 90 प्रतिशत के अंक आपके बच्चे की क्षमता का सच्चा मापदंड नहीं हो सकते। उसकी असली क्षमता तो उसके भीतर छिपी है, उसे बस आपके प्यार और समर्थन की आवश्यकता है।
आइए, हम सब मिलकर अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करें, जहां वे अपनी प्रतिभा को पूरी तरह से निखार सकें और एक खुशहाल जीवन जी सकें।
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