मीडिया प्रभारी ने बताया कि कार्यकारिणी की बैठक में तेलंगाना प्रांत के हिंदी साहित्य भारती कार्यकारिणी के सभी सदस्यों ने बड़े उत्साह से प्रतिभाग किया , सभा का आयोजन गूगल मीट के द्वारा संपन्न हुआ। कार्यक्रम का आरंभ माँ सरस्वती की वंदना से डॉ. जयलक्ष्मी जी ने किया, तत्पश्चात श्रीमती राजरानी शुक्ल द्वारा उपस्थित सभी पदाधिकारियों, सदस्यों, आमंत्रित सदस्यों का स्वागत किया गया तथा आभार व्यक्त किया।
कार्यकारिणी की उपाध्यक्षा डॉ स्नेहलता शर्मा जी ने अपने वक्तव्य में कार्यकारिणी की पूर्व बैठक में लिये गये निर्णयों , सदस्यों के दायित्वों और योजनाओं का विवरण प्रस्तुत किया। और बताया कि हिंदी साहित्य भारती ने 25 राज्यों में अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया है।
कार्यकारिणी के संयुक्त महामंत्री डॉ राजीव सिंह जी द्वारा हिंदी साहित्य भारती तेलंगाना की गतिविधियों का विवरण विस्तार से दिया गया।और भावी योजनाओं का उल्लेख किया।
अक्टूबर-नवंबर और दिसंबर 2020 में आयोजित गतिविधियों व योजनाओं पर अपने विचार प्रस्तुत किये।डाॅ. सुषमा जी ने साहित्य भारती के कार्यकारिणी को तेलंगाना प्रांत के सभी जनपदों के जनपद अध्यक्षों की गतिविधियों पर चर्चा की तथा सभी से वार्तालाप एवं जनपदों पर कार्यों का विवरण कार्यकारिणी का गठन इत्यादि पर विस्तृत जानकारी रखी। गांधी जयंती , लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती तथा सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर गोष्ठी की योजना रखी।
सभी सदस्यों द्वारा रखे गये प्रस्तावों पर विचार किया गया। हिंदी के प्रति हमारे उत्तरदायित्व को पुनः एक बार हाशिए की नोक पर रखते हुए कार्यकारिणी की प्रांत प्रभारी आद. सुरभि दत्त के द्वारा सभी को उनके उत्तरदायित्व याद कराए गए तथा सभी ने मिलकर अपने उत्तरदायित्व के प्रति पूर्ण निष्ठा भाव से दृढ़ संकल्प लिया "अपने अपने उत्तरदायित्व को हम तन मन धन से निभाएंगे"।
मार्गदर्शक मंडल द्वारा विचार प्रस्तुत किये गये आद. विद्याधर जी ने कहा यह विशिष्ट संगठन है । हिंदी साहित्य श्रेष्ठ उद्देश्य को लेकर चल रहा है हमें इसे सफल बनाना है। उन्होंने कहा - हमें इस कार्य को ऋषि ऋण मानते हुए पूर्ण निष्ठा से क्रियान्वित करना है। डॉ. कुमुदबाला जी ने जिले में संगठित समूह के कार्यों को क्रियान्वित करने के लिए साधुवाद दिया तथा सभी सदस्यों को अपने कर्त्तव्यों के प्रति उत्तरदायित्व समझने की बात कही। तथा आपने यह भी कहा कि सभी के सहयोग और निश्चित दायित्व निर्वाह से हम अपने लक्ष्य को सरलता से प्राप्त कर सकते हैं। आपने सभी सदस्यों की सक्रियता की प्रशंसा की।
डॉ सुमन लता जी ने हिंदी साहित्य भारती को उर्वरा भूमि तथा साहित्य सेवकों को बीज की संज्ञा से संबोधित करते हुए बताया इस कार्य से हिंदी को मूर्त रूप मिलेगा।तेलंगाना हिंदी साहित्य भारती को ग्रामों से जुड़ कर वहां हिंदी की गति व स्थति को समझना होगा। तभी हमारे प्रयास सार्थक होंगे और सही दिशा की ओर बढ़े सकेंगे ।
श्री श्याम सुंदर मूंदड़ा जी ने अपने वक्तव्य में सभी को उनके उत्तरदायित्व को पुनः याद दिलाते हुए कहा कि साहित्यिक गोष्ठी का आयोजन करना चाहिए जिनका आधार कवि लेखक साहित्यकार या फिर उनकी रचनाओं पर किया जाना चाहिए ।सभी सदस्यों के अपने-अपने सुझाव निम्नवत किए गए
इंद्रजीत जी ने सुझाव में कहा कि हमें अपने समूह में सुधार कार्यों को सम्मिलित करना चाहिए। श्रीमती सरिता तिवारी जी का सुझाव रहा कि - हिंदी भाषा की मूर्त रूप प्राथमिकता होनी चाहिए ना कि बाह्य आडंबर।
श्रुतकांत भारती जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि अब साहित्य भारती को गांव में अपने कदम बढ़ाने चाहिए।
प्रदेश प्रभारी डॉ सुरभि दत्त जी ने वक्तव्य में सभी के अमूल्य सुझावों का स्वागत करते हुए सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया और कहा कि कम अवधि में प्रदेश इकाई द्वारा कई साहित्यिक गतिविधियों का आयोजन किया है गया है। इस गोष्ठी की अनुकूलता को हृदय-पटल के समीप्य बताया।
अध्यक्षीय संबोधन में डॉ अर्चना पांडेय जी ने भावी कार्यक्रमों पर विचार रखे एवं राष्ट्र भाषा के अभियान को तीव्र करने की आवश्यकता पर बल लिया। साथ-साथ मंडल इकाइयों के गठन की प्रशंसा की।
प्रदेश के मंत्री पद पर नियुक्त आचार्य प्रताप जी द्वारा सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया तथा आपके ही द्वारा कल्याण मंत्र के साथ सभा के समापन की घोषणा की गई। प्रदेश के मंत्री पद पर नियुक्त डॉ रजनी धारी जी ने कार्यक्रम का सकुशल संचालन किया।
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