रविवार, 28 फ़रवरी 2021

अक्षरवाणी संस्कृत समाचार पत्र के सम्पादकीय पृष्ठ में

आचार्य प्रताप

 













अक्षरवाणी  संस्कृत समाचार पत्र  के सम्पादकीय पृष्ठ में 

बुधवार, 17 फ़रवरी 2021

जयचंद -सारसी छंद

छंद- सारसी छंद (विषम चरण चौपाई तथा  सम चरण दोहा)

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जयचंदों    से   करूँ   निवेदन,    माने  मेरी  बात।
सत्य सनातन रखें आचरण , विमल रखें मन-गात।
रजक-श्वान की दशा ज्ञात क्या , जयचंदी निष्णात।
शीघ्र  त्याग  दे यदि बचना है  ,  वरना  होगी  मात।।

आचार्य प्रताप

शनिवार, 6 फ़रवरी 2021

प्रताप-सहस्र से -दोहा द्वादशी

दोहे 
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व्याकुल मन की वेदना , बन जाती है काव्य।
निज पीड़ा जब-जब कहूँ, होती सदा सु-श्राव्य।।०१।।
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दृग से दृगजल शुष्क अब , गाँवों से अपनत्व।
शहर गये जन-गण सभी , मेटे मौलिक तत्व।।०२।।
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हम सुधरे सुधरा जगत , करें नवल नित शोध।
जिस दिन फल इसका मिले , होगा प्राणी बोध।।०३।।
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मन से बने महान हम , त्यागें तन सौंदर्य।
मन से हुए महान जब , मिलता धन-ऐश्वर्य।।०४।।
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मधुर शीत की धूप सम , प्रिये! तुम्हारी प्रीत।
एकाकीपन गा रहा , पावस ऋतु के गीत।।०५।।
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दृगजल अभिसिंचन करें , शुभे! तुम्हारा नाम।
प्रीत-विरह में बीतते , दिन के आठों याम।।०६।।
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जटिल परिस्थित में नहीं , होना कभी उदास।
याद रखो आता सदा , पतझड़ फिर मधुमास।।०७।।
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धैर्य बना बढ़ते रहें , करें प्रज्वलित दीप।
कर्मों का प्रतिफल मिले , दिखता लक्ष्य समीप।।०८।।
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मन बैरागी हो बढ़ा, स्वयं मोक्ष की ओर।
अग्र-पाश्व सब त्यागकर , त्यागे जीवन डोर।।०९।।
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दृग से दृगजल जो गिरा , मनुज दृष्टि से मीत।
कभी नहीं उत्थान हो , यही जगत की रीत।।१०।।
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व्यथा शोक गम वेदना , दुःख व्याधि संताप।
सहज नहीं पर उन्नयन , बढते रहो प्रताप।।११।।
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होता मन अवसन्न जब , रखें नियंत्रण आप।
नहीं बाद फिर ग्लानि ही , मिलती कहे प्रताप।।१२।।

आचार्य प्रताप

बुधवार, 3 फ़रवरी 2021

राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत

छंद- दोहा‌

तिथि- २६-०१-२०२१
दिवस- मंगलवार
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फैली चारों ओर ध्वनि , जन गण मन की तान।
सदा तिंरगा देश की , करवाता पहचान।।०१।।
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राष्ट्र भक्ति का पाठ अब , गाये सदा प्रताप।
महापुरुष की याद में, मिले सभी हैं आप।।०२।।
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बनकर सबका गर्व ध्वज, छूता है आकाश।
इसके गौरव गान पर, आज हुआ अवकाश।।०३।।
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जन गण की पहचान है , ध्वज के तीनों रंग।
एक सूत्र में बँध गए , बनकर के इक अंग।।०४।।
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लहराता है विश्व-भर , बन भारत की शान।
यही तिरंगा देश की, करवाता पहचान।।०५।।
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आज दिवस गणतंत्र का, मना रहे हैं लोग।
माह जनवरी में सदा, बना दिया है योग।।०६।।
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ध्वज के तीनों रंग हैं , हरित नरंगी श्वेत ।
चक्र सदा सिखला रहा , रहिये सदा सचेत ।।०७।।
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श्वेत रंग है शांति का , हरित हर्ष रमणीक |
केशरिया बलिदान का , रहता सदा प्रतीक ।।०८ ।।
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चक्र वर्ण नीलम रखा , रेखाएँ चौबीस |
सुख-दुख में चलते रहे , नाम जपें सब ईश ।।०९।।
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राष्ट्र-प्रेम की भावना , जगी हुई है आज |
भारत वन्दे मातरम् ,गूँजे सकल समाज ||१० ||
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केसरिया माथे सजे , हरित सजे भू -भाग।
नीलम चक्र सहित सजा , श्वेत हृदय तव बाग।।११।।
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देख विषमता क्रंदते , उच्चारित गणतंत्र।
मत-कोश श्रीवृद्धि हित , दिए निरक्षर मंत्र।।१२।।
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आचार्य प्रताप
acharyapratap